देहरादून : देहरादून के डालनवाला कोतवाली में प्रदेश के पहले बाल मित्र पुलिस थाने का शुभारंभ मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने किया। बता दें कि सुबह सीएम त्रिवेंद्र रावत बाल मित्र पुलिस थाने के उद्धघाटन के लिए डालनवाला कोतवाली पहुंचे और बाल मित्र पुलिस थाने का शुभारंभ किया। इस मौके पर डीजीपी अशोक कुमार,एसएसपी योगेंद्र सिंह रावत,एसपी सिटी श्वेता चौबे और मेयर सुनील उनियाल गामा भी मौजूद रहे। बता दें कि उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की देखरेख में डालनवाला थाना के पास तकरीबन पांच लाख रुपये की लागत से बाल मित्र थाना बनाया गया है। जो बीते दिसंबर तक बनकर तैयार हो चुका है।
आपको बता दें कि बाल मित्र पुलिस थाना के लिए बाल अधिकार सरंक्षण आयोग की ओर से 13 लाख रुपए प्रत्येक थानों के लिए दिए जाएंगे। इस दौरान उत्तराखंड बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्षा उषा नेगी भी मौजूद रहीं। आपको बता दें कि बाल आयोग की और कई सालों से मांग उठायी जा रही थी। बाल मित्र थाने में बाल आयोग के सदस्य वकील व बेहतर काउंसलर उपलब्ध होंगे जो बच्चों की काउंसलिंग कर उन्हें अपराधों से दूर रखने की शिक्षा देंगे। एसएसपी डॉ. योगेंद्र सिंह रावत का कहना है कि बाल मित्र थाना एक बहुत अच्छा कदम है। थानों में आने वाले बच्चे पुलिस से भयभीत न हों इसके लिए वहां पर माहौल बनाया गया है। डालनवाला के बाद सभी जगह इस तरह की व्यवस्था करने की तैयारियां चल रही हैं।
ये है खास बात
इस थाने की खास बात ये है कि इस थाने से बच्चों की काउंसलिंग बेहतर तरीके से हो सकेगी। किसी अपराध में यदि बच्चों का नाम आता है तो वे पुलिस से भयभीत न होकर यहां आ सकेंगे। इसके साथ ही कुछ ऐसी महिलाएं भी आती हैं जिनके साथ बच्चे होते हैं तो वे भी यहां पर खेल सकेंगे। यही नहीं यदि कोई गायब बच्चा ढूंढने के बाद थाने लाया जाता है तो उसके लिए भी यहां अच्छा माहौल मिलेगा।
यदि किसी अपराध में कोई बच्चा पकड़ा जाता है तो उसे बाल थाने में रखा जाएगा। यह अवधि एक दिन से ज्यादा नहीं होगी। बाल थाने में घर जैसा माहौल देने का प्रयास किया जाएगा। थाने में खेलने, पढऩे आदि की सुविधा मिलेगी। वहां पर एक बाल अधिकारी को भी तैनात किया जाएगा, जोकि बच्चों का ध्यान रखेगी। इस व्यवस्था का मकसद बाल अपराधियों को सुधारना है। देहरादून के डानलवाला स्थित थाना के पास बालमित्र पुलिस थाना बनकर तैयार हो चुका है। यहां अपराध की दुनिया में कदम रखने वाले और गुमशुदा नाबालिगों को विशेष काउंसलिंग कराई जाएगी। साथ ही उन्हें बेहतर माहौल देने के लिए कक्ष की दीवारों पर कार्टून और परिसर में खेल के सामान भी रखे गए हैं।