ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन टनल निर्माण में हैवी ब्लास्टिंग के चलते बल्दियाखान गांव के मकानों पर पिछले वर्ष दरारें पड़ गई थी। जिसकी ग्रामीणों द्वारा मरम्मत की गई थी। लेकिन बरसात के साथ एक बार फिर से गांव के मकानों में दरारें दिखने का सिलसिला शुरू हो गया है। जिस कारण ग्रामीणों में दहशत का माहौल है।
बल्दियाखान गांव के मकानों में फिर से दरारें पड़नी हुई शुरू
मरम्मत के बाद भी बल्दियाखान गांव के मकानों में फिर से दरारें पड़नी शुरू हो गई है। जिसके कारण लोगों में दहशत का माहौल है। एक साल पहले भी बल्दियाखान गांव के मकानों पर दरारें देखने को मिली थी। दहशत में जी रहे ग्रामीणों ने उस वक्त परिवार के एक व्यक्ति को रेलवे विकास निगम में नौकरी देने तथा विस्थापन की मांग को लेकर जबरदस्त आंदोलन कर निर्माण कार्य रुकवा दिया था।
मरम्मत के तीन महीने बाद ही फिर दिखने लगी दरारें
ग्रामीणों के भारी विरोध के कारण प्रशासन की मध्यस्थता में आरवीएनएल द्वारा मकानों के मरम्मत के लिए ग्रामीणों को धनराशि दी थी। ग्रामीणों द्वारा मकानों की मरम्मत कराने के दो-तीन महीने बाद ही एक फिर से मकानों पर दरारें पड़नी शुरू हो गई हैं। जिससे ग्रामीण दहशत में हैं।
ग्रामीणों ने की विस्थापन की मांग
बल्दियाखान गांव के ग्रामीणों का कहना है कि मकानों की नींव बुरी तरह हिल चुकी है। रेल सेवा शुरू होने पर ये मकान किसी काम के नहीं रह जाएंगे। लिहाजा गांव में प्रति परिवार एक व्यक्ति को रोजगार दिया जाए और गांव को नजदीकी क्षेत्र में विस्थापित किया जाए।