देहरादून: सुप्रीम कोर्ट में इस बात को लेकर सुनवाई हुई कि भीड़-भाड़ वाली जेलों में कोरोना वायरस फैलने से कैसे रोका जाए। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि जिन कैदियों को किसी मामले में 7 साल या उससे कम की सजा दी गई है और वह जेल में बंद हैं। उनको पेरोल या अंतरिम जमानत दी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद सवाल यह है कि क्यों उत्तराखंड की जेलों से भी कैदियों को रिहा किया जाएगा। उत्तराखंड की जेलों को बुरा हाल है।
सु्प्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि एक हाई लेवल कमेटी बनाई जाए। यह कमेटी ही तय करेगी कि किन कैदियों को पेरोल दी जा सकती है और किसे नहीं। यानी ये कमेटी कैदियों की कैटेगरी बनाएंगे और उनके अपराध और व्यवहार के आधार पर ये तय करेंगे कि किसे-किसे अंतरिम जमानत या पेरोल दी जा सकती है।
उत्तराखंड की बात करें तो हल्द्वानी जेल में 300 कैदियों की जगह है। लेकिन, उस जेल में करीब 1200 कैदी बंद हैं। उत्तराखंड की कुल 11 जेेलों की क्षमता 3420 कैदियों की है। जबकि, उनमें पिछले साल तक करीब 5390 कैदी बंद हैं। जिनकी संख्या अब और बढ़ चुकी है।