जो भाजपा अपने अस्तित्व में
आने के पहले दिन से ही वंशवाद का विरोध करती आयी थी ,जिस भाजपा ने नेहरू गाँधी परिवार पर वंशवाद का ठप्पा लगाकर जनता से जनादेश हासिल किया ,यहाँ तक कि वर्तमान प्रधानमंत्री और भाजपा के सर्वे सर्वा के नए अवतार नरेंद्र मोदी 2013 से लेकर सत्ता हासिल करने तक जिस वंशवाद को कोसते रहे थे ,उसी भाजपा को आज उत्तराखंड में वंशवाद विरोध की धज्जियाँ उड़ाते देख किसी को भी आश्चर्य नहीं हुआ क्योंकि सत्तालोलुपता ने आज की भाजपा को सिद्धांतविहीन कर दिया है ये बात अब जग जाहिर है ,भाजपा की और नरेंद्र मोदी की हरकतों को देख कर कम से कम यही नजर आता है कि वर्तमान में भाजपा को किसी भी कीमत सिर्फ और सिर्फ सत्ता की दरकार है और सत्ता की चाहत में भाजपा अपने ही सिद्धांतो को कहीं नेपथ्य में छोड़ आयी है।
इसकी बानगी उत्तराखंड में भी देखने को आज मिली जब महज सत्ता की लोलुपता में भाजपा ने वंशवाद विरोध के नारे से कन्नी काटते हुए यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य को महज कांग्रेस को तोड़ने के लिए और सत्ता की वासना के वशीभूत होकर वंशवाद को बढ़ावा दिया ,वहीँ सत्ता की लालसा में वंशवाद विरोध के अपने दावे को पैरों तले कुचलते हुए विजय बहगुणा के बेटे सौरव बहुगुणा हों या फिर भुवन चंद्र खंडूड़ी की बेटी ऋतू खंडूड़ी का टिकट हो भाजपा कहीं से भी १९८५ के दौर वाली कांग्रेस से अलग नजर नहीं आ रही है। सिद्धनविहीनता और सत्ता प्राप्ति ही अगर भाजपा का एकमात्र मकसद बन चुकी है तो कांग्रेस की तरह भाजपा के पराभव से इंकार करना बेमानी ही होगा।