देहरादून : उत्तराखंड में विधायकों की संपत्ति बढ़ती जा रही है जिससे कहा जा सकता है कि राजनीति में आने फायदे का सौदा है, घाटे का नहीं। जी हां क्योंकि विधायकों की बढ़ती संपत्ति बता रही है कि राजनीति में कितना फायदा होता है। ऐसे में कई लोगों के मन में भी चुनाव लड़के की लालसा जाग गई जाती है और जागी भी है। हर कोई आम इंसान राजनीति में जा रहा है औऱ मन में चुनाव लड़ने की इच्छा लिए हैं। बस एक बार विधायक बन जाओ उसके बाद चांदी ही चांदी।
कई लोगों के मन में जागी चुनाव लड़ने की लालसा
आपको बता दें कि पिछले दो साल में जो विधायक चुने गए हैं, उत्तराखंड में साल 2012 में निर्वाचित 70 विधानसभा सदस्यों में से साल 2017 में 32 दोबारा चुन कर आए और इनमें से अधिकांश विधायकों की संपत्ति में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। इसी लालच में आकर कई लोग चुनाव के मैदान में उतरते हैं। इसे सत्ता का प्रसाद कहें या पार्टी की कृपा. इससे लोगों में मन में चुनाल लड़ने की लालसा जाग गई है।
जिनती बार जीतते चुनाव, उतनी बार कई गुना बढ़ जाती संपत्ति
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार साल 2002 में 927 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जबकि 2007 में 785 उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। 2012 में उम्मीदवारों की संख्या बढ़कर 788 हो गई और 2017 में 637 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। जितने बार विधायक चुनाव जीतते हैं उनकी संपत्ति में कई गुना बढ़ोतरी होती जा रही है। उम्मीदवारों की लिस्ट भी लंबी होती जा रही हैं। इनमे से अधिकतर उम्मीदवार ऐसे भी हैं जो एक से अधिक बार विधायक चुने गए हैं। साल 2017 के चुनाव में 31% ऐसे उम्मीदवार मैदान में थे, जो करोड़पति थे। इसमें 70 सीटों पर कांग्रेस के 52 और भाजपा के 48 उम्मीदवार करोड़पति थे।
31% करोड़पति उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा
आपको बता दें कि एडीआर ने साल 2017 के चुनाव में शपथपत्र में घोषित संपत्ति के आधार पर उम्मीदवारों की आर्थिक स्थिति की रिपोर्ट तैयार की है। जिनमे 31% करोड़पति उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। इसमें 5 करोड़ से अधिक संपत्ति वाले 34 उम्मीदवार, 2 से 3 करोड़ वाले 73 उम्मीदवार, 50 लाख से 2 करोड़ वाले 189, 10 से 50 लाख वाले 162 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा। जबकि 10 लाख से कम संपत्ति वाले उम्मीदवारों की संख्या 179 थी।
इतनी मिलती है हर महीने सैलरी
अब आप सोच रहे होंगे की विधायकों को कितना पैसा हर महीने सैलरी के रुप में मिलता है तो बता दें कि तेलगांना के बाद उत्तराखंड में विधायकों को वेतन और भत्ते मिला कर हर महीने लगभग 2 लाख रुपये मिलते हैं। विधायकों का वेतन 30 हजार है लेकिन विभिन्न भत्ते मिलकर उन्हें हर महीने 1.98 लाख रुपये मिलते हैं।बता दें कि त्रिवेंद्र के कार्यकाल में सत्र के दौरान विधायकों का वेतन 10 हजार से बढ़ाकर 30 हजार किया गया।
अधिक संपत्ति वाले टॉप 10 उम्मीदवार
नाम दल चल व अचल संपत्ति (करोड़ में)
सतपाल महाराज भाजपा 80.25 करोड़
मोहन प्रसाद काला निर्दलीय 75.79 करोड़
शैलेंद्र मोहन सिंघल भाजपा 35.63 करोड़
राजेश शुक्ला भाजपा 25.97 करोड़
चौधरी यशवीर सिंह कांग्रेस 24.49 करोड़
जेपेंद्र सिंह आरएलडी 24.48 करोड़
मोहित कुमार निर्दलीय 23.87 करोड़
राजीव अग्रवाल बसपा 23.38 करोड़
काजी निजामुद्दीन कांग्रेस 21.30 करोड़
सुभाष सिंह चौधरी बसपा 20.32 करोड़
विधायको की संपत्ति का ब्यौरा
विधायक – 2012 – 2017
प्रीतम सिंह – 2.78 करोड़ 8.10 करोड़
हरक सिंह रावत – 1.97 करोड़ 2.68 करोड़
सुबोध उनियाल – 30.84 लाख 1.65 करोड़
प्रीतम सिंह – 1.27 करोड़ – 2.17 करोड़
सहदेव पुंडीर – 72.43 लाख – 1.90 करोड़
उमेश शर्मा काऊ – 1.78 करोड़ – 3.7 करोड़
हरबंस कपूर – 84.50 लाख – 1.27 करोड़
गणेश जोशी – 1.47 करोड़ – 3.27 करोड़
प्रेमचंद अग्रवाल – 1.33 करोड़ – 3.24 करोड़
मदन कौशिक – 97.53 लाख – 2.45 करोड़
पुष्कर सिंह धामी – 45.95 लाख – 49.15 लाख
आदेश चौहान – 77.2 लाख – 79.94 लाख
फुरकान अहमद – 1.60 करोड़ – 2.51 करोड़
प्रदीप बत्रा – 2.93 करोड़ – 3.81 करोड़
कुंवर प्रणव च 1.03 करोड़ – 1.87 करोड़
संजय गुप्ता – 68.78 लाख – 2.86 करोड़
यतीश्वरानंद – 7.19 लाख – 56 लाख
दिलीप सिंह रावत – 98.01 लाख – 1.61 करोड़
हरीश धामी – 41.75 लाख – 3.60 करोड़
बंशीधर भगत – 73.02 लाख – 1.34 करोड़
गोविंद सिंह कुंजवाल- 1.07 करोड़ – 1.82 करोड़
अरविंद पांडेय – 24.61 लाख – 62.80 लाख
राजेश शुक्ला – 26.63 लाख – 26.97 करोड़
प्रेम सिंह – 4.81 लाख -17.03 लाख
पूरन सिंह फर्त्याल – 1.86 करोड़ – 1.46 करोड़
राजकुमार ठुकराल – 40.91 लाख – 66.08 लाख
सुरेंद्र सिंह जीना – 7.04 करोड़ – 10.52 करोड़
चंदन राम दास – 33.40 लाख – 49.62 लाख