उत्तराखंड में चल रहे ऑपरेशन कालनेमि के तहत देहरादून पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। नेहरू कॉलोनी पुलिस और एलआईयू की संयुक्त कार्रवाई में एक बांग्लादेशी नागरिक को फर्जी पहचान पत्र बनवाकर देहरादून में अवैध रूप से निवास करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
फर्जी पहचान पत्र बनाकर आरोपी देहरदून में कर रहा था नौकरी
पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार गिरफ्तार युवक की पहचान ममून हसन पुत्र मोहम्मद अली यासीन निवासी आनंदोवास (बांग्लादेश) के रूप में हुई है। वहीं महिला का नाम रीना चौहान, निवासी त्यूणी है। दोनों अलकनंदा एन्क्लेव, नेहरू कॉलोनी में पति-पत्नी की तरह रह रहे थे। पूछताछ में सामने आया कि रीना का पहले विवाह त्यूणी निवासी सचिन चौहान के साथ हुआ था और दोनों लंबे समय से अलग रह रहे थे।
पूर्व पति के नाम के बनाए थे फर्जी दस्तावेज
पुलिस जांच में पता चला कि रीना ने अपने पूर्व पति सचिन के नाम पर उपलब्ध दस्तावेजों और पहचान संबंधी जानकारी का उपयोग करते हुए अपने नए पति बने बांग्लादेशी नागरिक ममून के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ममून ने सचिन चौहान के नाम से आधार कार्ड, पैन कार्ड और अन्य पहचान पत्र तैयार किए और उसी पहचान पर देहरादून के एक क्लब में बाउंसर की नौकरी भी कर रहा था।
टूरिस्ट वीजा पर रीना से मिलने कई बार देहरदून आ चुका था आरोपी
पूछताछ में दोनों ने खुलासा किया कि उनकी पहचान फेसबुक के माध्यम से हुई थी। इसके बाद ममून साल 2019, 2020 और 2021 में तीन बार टूरिस्ट वीजा पर रीना से मिलने के लिए भारत आया था। हर बार वीजा खत्म होने पर आरोपी बांग्लादेश लौट गया।
बांग्लादेश में किया दोनों ने निकाह
2022 में दोनों अवैध तरीके से भारत-बांग्लादेश बॉर्डर क्रॉस कर बांग्लादेश भी गए, जहां उन्होंने निकाह किया और फिर दोबारा अवैध रूप से भारत लौट आए। दोनों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज कर अरेस्ट कर लिया है। आरोपियों के पास से फर्जी पहचान पत्र और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए हैं। पुलिस उन लोगों की भी तलाश कर रही है जिनकी मदद से फर्जी पहचान पत्र तैयार करवाए गए।
9 बांग्लादेशी नागरिकों को कर चुके हैं डिपोर्ट
ऑपरेशन कालनेमि के तहत अब तक देहरदून पुलिस ने 16 बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनमें से 9 को डिपोर्ट किया जा चुका है और 7 को जेल भेजा गया है।



