देहरादून- एक किलो दूध से तकरीबन दो सौ ग्राम मावा ही निकलता है। जाहिर है इससे व्यापारियों को ज्यादा फायदा नहीं होता। लिहाजा मिलावटी मावा बनाया जाता है।
-इसमें अक्सर शकरकंदी, सिंघाड़े का आटा, आलू और मैदे का इस्तेमाल होता है।
-नकली मावा बनाने में स्टार्च, आयोडीन के साथ ही आलू मिलाया जाता है। आलू इसलिए ताकि मावे का वजन बढ़े। वजन के लिए ही आटा भी मिलाया जाता है।
-नकली मावा असली मावा की तरह दिखे इसके लिए इसमें कुछ कैमिकल मिलाया जाता है। कुछ दुकानदार मिल्क पाउडर में वनस्पति घी मिलाकर मावे को तैयार करते हैं।
-मावे की जांच घर पर रहकर दो सरल तरीकों से हो सकती है।
-मावे को हथेली पर रखने पर यदि यह तेल छोड़ता है तो मिलावट नहीं है।
-मावे को हल्के गुनगुने पानी में डाल दें। फिर इसमें थोड़ा चने का आटा और चुटकी भर हल्दी मिला दें। यदि रंग गुलाबी आता है तो समझो इसमें मिलावट है।
वैज्ञानिक व स्पैक्स संस्था के अध्यक्ष डॉ. बृजमोहन शर्मा का कहना है कि मावे में मुख्यत: स्टार्च मिलाए जाने के मामले सामने आते थे, लेकिन बीते कुछ वर्षों में सस्ते सूखे दूध का प्रयोग बढ़ा है। इस दूध में खासी मात्रा में मैलेमाइन होता है, जो लिवर के लिए बेहद खतरनाक है। इसके अत्याधिक प्रयोग से आंतों में कैंसर तक हो सकता है। इनके अलावा मावे में चर्बी, सस्ते कृत्रिम आयल, डालडा आदि का प्रयोग किया जाता है।