देहरादून- आज के जमाने में भी खत लिखने में कोताही न बरतने वाले कांंग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय नें फिर चिट्ठी लिखी है। अब की बार खत केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग, जहाजरानी मंत्री नितिन गड़करी को लिखा है। खत के मजमून में किशोर ने मध्य हिमालयी क्षेत्र की चिंताओं को जाहिर किया है. मशविरा भी दिया है और मांग भी की है। प्रदेश अध्यक्ष नें केंद्रीय मंत्री का ध्यान गंगा परिवहन पर दिलाते हुए कहा है कि ये तब ही संभव है जब गंगा में पानी हो और गंगा में पानी तब रहेगा जब गंगा की सहायक नदियों की हिफाजत होगी।
इसके अलावा किशोर नें खत में पर्यावरण पर चिंता और उत्तराखंड के योगदान के बारे में भी लिखा है। किशोर नें केंद्र से कहा है कि उत्तराखंडी जल-जंगल की हिफाजत करते हैं,उनके विकास में यहां के जंगल बड़ी बाधा भी साबित होते हैं उसके बावजूद वे पेड़ों की रक्षा करते हैं इसलिए पूरे राज्य सरकारी नौकरी में दूसरे आदिवासी समुदाय की तरह आरक्षण दिया जाना चाहिए और ग्रीन बोनस दिया जाना चाहिए। किशोर ने केंद्र सरकार को मशविरा देते हुए लिखा है कि उत्तराखंड के पहाड़ी इलाके विषम भौगोलिक परिस्थितियों के चलते आबादी विहीन हो गए हैं ऐसे मे खाली खेतों पर जल संवर्धन वाले पेड़ों को लगाया जा सकता है अगर सरकार प्रति पेड़ 2 हजार रूपए खेत के मालिक को दे। किशोर ने इसका फायदा बताते हुए लिखा कि इससे राज्य के पहाड़ आबादी विहीन नहीं होंगें,पर्यावरण की रक्षा होगी गंगा की सहायक नदियां मजबूत होंगी तो गंगा में जल प्रवाह बरकरार रहेगा।
उधर विरोधी कह रहे हैं कि बेशक किशोर उपाध्याय की सलाह अच्छी है लेकिन किशोर को ये खत और सलाह उस वक्त केेंद्र सरकार को देनी चाहिए थी जब केंद्र में मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री थे क्योंकि ग्रीन बोनस की मांग तब भी उठी थी।,और जो चिंताए उन्हें आज व्याकुल कर रही हैं वो आज से नही तब से हैं जब उत्तराखंड बना भी नही था अगर इस पीड़ा को कोई समझ जाता तो फिर शायद राज्य बनाने की जरूरत भी नहीं पड़ती।