नैनीताल : उत्तराखंड राज्य में नशा युवाओं से लेकर बूढ़े-बुजुर्गो तक को अपनी आघोश में लिए जा रहा है इससे हाईकोर्ट भी चिंतित है. राज्य के युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति पर हाई कोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार, पुलिस महानिदेशक, ड्रग कंट्रोलर, केंद्र के अधीन कार्यरत स्टेट नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीके बिष्ट व न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की खंडपीठ ने सुनवाई के दौरान पूरे मामले को बेहद गंभीर मानते हुए याचिकाकर्ता से सभी निजी विवि, जिलों के एसएसपी-एसपी, निदेशक विद्यालयी शिक्षा को भी पक्षकार बनाने को कहा है।
रामनगर निवासी और गैर सरकारी संगठन वत्सल की श्वेता मासीवाल ने जनहित याचिका दायर कर प्रदेश मे युवाओं में नशे के बढ़ते रुझान पर रोक लगाने की अपील की थी।
हल्द्वानी में 21 दून में 33 फीसद युवा गिरफ्त में
याचिकाकर्ता ने नशे की प्रवृत्ति पर हुए शोध के आंकड़े कोर्ट में पेश करते हुए कहा है कि हल्द्वानी में 21 फीसद व राजधानी देहरादून में 33 फीसद युवा नशे की गिरफ्त में हैं और ये प्रवृत्ति दिनोंदिन बढ़ रही है। शोध में इस तथ्य का उल्लेख है कि नशा करने वालों में 14 साल के किशोर से लेकर 30 साल के युवा शामिल हैं।
याचिका में नैनीताल पुलिस द्वारा नशे के खिलाफ चलाए गए अभियान का उल्लेख करते हुए कहा कि ऐसे अभियान अन्य जिलों में भी चलाने की आवश्यकता है। याचिकाकर्ता के अनुसार इस मामले में राज्य सरकार इतनी बेपरवाह है कि अब तक नशा उन्मुक्ति केंद्र तक नहीं बनाया गया है। गैर सरकारी नशा उन्मुक्ति केंद्र जो है, वह भी खस्ताहाल है।
नशे ने राज्य की युवा पीढ़ी को आगोश में ले लिया है। नशे का सामान राज्य के शहरों, कस्बों के छोटे-बड़े बाजार के हर कोने में आसानी से मिल रहा है। सरकार नशे के सामान की अंधाधुंध बिक्री को राजस्व की आय मान रही है। खंडपीठ ने मामले को सुनने के बाद सरकार व अन्य पक्षकारों को चार सप्ताह में जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से सीएससी परेश त्रिपाठी कोर्ट में उपस्थित हुए।