जीएसटी काउंसिल(GST Council) की दो दिवसीय अहम बैठक 3 सितंबर से शुरू हो चुकी है। खास बात यह है कि यह बैठक तय समय से पहले बुलाई गई है और इसमें टैक्स ढांचे को आसान बनाने के लिए बड़े फैसले हो सकते हैं। अभी जीएसटी चार स्लैब में बंटा हुआ है, लेकिन काउंसिल इसे सरल बनाने की दिशा में काम कर रही है।
क्या बदल सकता है GST ढांचा?
मौजूदा व्यवस्था में 12% वाले स्लैब की ज्यादातर चीजों (करीब 99%) को 5% पर लाने का प्रस्ताव है। इसी तरह 28% वाले स्लैब में आने वाले करीब 90% सामान को 18% वाले स्लैब में डालने की तैयारी है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हालिया ऐलान को ध्यान में रखते हुए इस बैठक में अंतिम फैसला हो सकता है।
क्या-क्या होगा सस्ता?
अगर ये प्रस्ताव पास होता है तो रोजमर्रा के खर्च में बड़ा फर्क देखने को मिल सकता है।
12% से 5% स्लैब में आने वाले सामान
- पैकेज्ड मिठाइयाँ, नमकीन, सॉस, पापड़ जैसे प्रोसेस्ड फूड
- रेडीमेड कपड़े और फुटवियर
- घरेलू सामान जैसे वॉशिंग पाउडर, ब्रश, पंखा
- फर्नीचर, प्लास्टिक उत्पाद और इलेक्ट्रिकल एक्सेसरीज़
28% से 18% स्लैब में आने वाले सामान
- टीवी, फ्रिज, एसी, वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू इलेक्ट्रॉनिक्स
- टू-व्हीलर और मिड सेगमेंट कारें
- कॉस्मेटिक और परफ्यूम
- पेंट, सीमेंट और कंस्ट्रक्शन से जुड़ा सामान
क्या होगा महंगा?
जहां एक तरफ आम उपयोग की वस्तुएं सस्ती होंगी। वहीं कुछ लग्जरी और हानिकारक चीजों पर टैक्स का बोझ और बढ़ सकता है। इनमें शराब और हाई-एंड लग्जरी आइटम्स शामिल हैं।
उपभोक्ताओं और उद्योग को फायदा
अगर यह बदलाव लागू होते हैं तो सीधा फायदा ग्राहकों को मिलेगा क्योंकि रोजमर्रा के सामान की कीमतें घटेंगी। उद्योग जगत के लिए भी यह राहत की खबर होगी क्योंकि सस्ती दरों से बिक्री में इज़ाफा होगा। इसका असर सिर्फ जेब पर ही नहीं बल्कि मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार के अवसरों पर भी पड़ेगा। यही वजह है कि इसे घरेलू उद्योगों को बढ़ावा देने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है।