देहरादून: दून के बच्चे भी कातिल ऑनलाइन गेम ब्ल्यू व्हेल के चंगुल में फंसते नजर आ रहे हैं। यहां अब तक दो स्कूली बच्चे खुदकुशी की कोशिश कर चुके हैं। गनीमत यह रही कि दोनों बच्चों की जिंदगी बच गई, लेकिन चिंता इस बात को लेकर है कि दून के तमाम बच्चे इस गेम में शरीक हैं। इस गेम्स को लेकर शिक्षण संस्थाएं भी चौकन्नी हो गई हैं।
दून में जिन दो बच्चों ने खुदकुशी करने का प्रयास किया, उनकी उम्र भी 14 से 17 वर्ष के बीच है। चिंता सिर्फ ब्ल्यू व्हेल गेम को लेकर नहीं, इंटरनेट की दुनिया में ऐसे दर्जनों खतरनाक गेम्स हैं। जानकारों का कहना है कि इस तरह के खतरनाक गेम्स बनाने के पीछे की असली वजह पैसा और पावर दिखाने की कोशिश है।
ब्ल्यू व्हेल गेम के चैलेंज को लेने वालों में बच्चे ही सर्वाधिक हैं। बच्चे गेम में दिखाए गए झूठ को सच समझने लगते हैं। वे भूल जाते हैं कि कोई भी गेम मनोरंजन और कुछ सीखने के लिए होना चाहिए न कि जान गंवाने के लिए। लिहाजा वे गेम के टॉस्क को पूरा करने की कोशिश में लग जाते हैं। वे यह नहीं समझ पाते कि किसी भी जीत या रोमांच का मजा तभी है, जब जिंदगी हो।
पैरेंट्स बढ़ाएं बच्चों से नजदीकी
राजकीय दून मेडिकल कॉलेज की न्यूरो साइकोलॉजिस्ट डॉ.सोना कौशल कहती हैं कि बच्चा अगर खतरनाक इंटरनेट गेम के जाल में फंस रहा है तो उससे जुड़ने की जरूरत है, न कि उसे डांटने-फटकारने की। उनसे बातचीत करें। दोस्तों से उसके शौक आदि के बारे में जानें,
यह लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान
1.बहुत गुस्सा करना 2.चिड़चिड़ा रहना 3.कमरे में बंद रहना 4.खाना छोड़ देना 5.देर रात तक जागना 6.किसी से बात नहीं करना 7.बहुत जिद करना 8.हिंसक हो जाना 9.पढ़ाई व स्कूल जाने से बचना
नहीं आई शिकायत
देहरादून के एसएसपी निवेदिता कुकरेती के मुताबिक ब्ल्यू व्हेल गेम से संबंधित कोई शिकायत पुलिस तक नहीं आई है। फिर भी गेम के बढ़ते दायरे को देखते हुए सतर्कता बरती जा रही है।
बच्चे के स्वभाव में बदलाव खतरनाक
मनोवैज्ञानिकों की मानें तो यह खेल ऐसे बच्चों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है जो मानसिक रूप से परेशान हैं या फिर पारिवारिक समस्याओं से जूझ रहे हैं। सीनियर क्लीनिकल चाइल्ड साइकोलॉजिस्ट और स्टूडेंट काउंसर डॉ. मुकुल शर्मा के मुताबिक जिन परिवारों में क्लेश या फिर माता-पिता में झगड़े होते हैं, वहां बच्चे मानसिक रूप से तनावग्रस्त होने लगते हैं। अकेलापन उन पर हावी होने लगता है। जिसके बाद वे कई बार खुद ही ऐसे कदम उठाने की सोचने लगते हैं।
उन्होंने बताया कि यह गेम बच्चे में हार जाने की प्रवृत्ति का डर बनाता है उसके बाद उन्हें अंदर ही अंदर आत्मविश्वास को खत्म करने लगता है। अकेलेपन से जूझने के कारण बच्चे किसी से अपनी व्यथा साझा भी नहीं कर पाते। खेल धीरे-धीरे उन्हें अपनी गिरफ्त में लेकर उन्हें आत्महत्या जैसे कदम को उठाने के लिए प्रेरित कर देते है।
ऐसे कर सकते हैं बचाव
1.गेम खेलने के शौकीन बच्चों को ब्लू व्हेल गेम से रखें दूर।
2.बच्चों के बीच जीत हार को लेकर मानसिकता पर रखें नजर।
3.उन्हें कसी भी हालात में हिम्मत से काम लेने के लिए प्रेरित करें।
3.बच्चों के बीच अकेलेपन की चाहत न होने से विकसित।
4.घर में बच्चों के सामने किसी प्रकार का विवाद न होने दें उत्पन्न।
5.बच्चों के व्यवहार पर नजर रखें। अचानक स्वभाव में बदलाव का रखें ख्याल।
6.कामकाजी अभिभावक अपने बच्चों का अकेला न छोड़े।
7.बच्चों के साथ जितना हो सके वक्त गुजारें।
8.बच्चों के फोन में अगर लॉक है तो उसे लेकर बनें गंभीर।