देश और दुनिया ने कोरोना महामारी का प्रकोप देखा। भारत में अभी भी कोरोना का प्रकोप जारी है। भारत देश में संक्रमण के कुल मामले बढ़कर 73,07,097 हो गए हैं. देश में पिछले 24 घंटे में 680 और लोगों की मौत हो जाने से संक्रमण से मरने वालों की संख्या बढ़कर 1,11,266 हो गई है. वहीं कोरोना के लक्षणों में भी बदलाव आया है। कोरोना को लेकर लोगों के मन में कई धारणाएं हैं जिनमे से एक है कि एक बार कोरोना होने के बाद दोबारा कोरोना नहीं होगा…ऐसा जरुरी नहीं है और अगर दोबार कोरोना पॉजिटिव नहीं आ सकते हैं। अगर दोबारो कोरोना पॉजिटिव आ भी जाएं तो इससे घबराने की जरुरत भी नहीं है। ये कहना है विश्व स्वास्थ्य संगठन का।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का ये है कहना
विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना कि जरूरी नहीं कि जो कोरोना मरीज निगेटिव आ चुके हैं उनकी हर बार रिपोर्ट नेगेटिव ही आए। फेफड़े की मृत कोशिकाओं के कारण दोबारा पॉजिटिव रिपोर्ट की संभावना रहती है। इसका कतई मतलब यह नहीं है कि मरीज री-इंफेक्टेट है। जो मरीज एक बार ठीक हो चुका है, उसकी रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आए लेकिन मरीजों का दोबारा पॉजिटिव टेस्ट आने के पीछे फेफड़ों की मरी हुई कोशिकाएं जिम्मेदार हो सकती हैं। इससे मरीजों को डरने की जरूरत नहीं है।
ठीक होने के बाद मरीजों के फेफड़ों से मृत कोशिकाएं बाहर आ सकती हैं-WHO
कहा कि अभी तक के आंकड़ों और विश्लेषणों के अनुसार ठीक होने के बाद मरीजों के फेफड़ों से मृत कोशिकाएं बाहर आ सकती हैं। इन मृत कोशिकाओं के आधार पर रिपोर्ट पॉजिटिव आ सकती है लेकिन यह मरीजों का रिकवरी फेज है जिसमें मनुष्य का शरीर खुद ही उसकी सफाई करता है।
डॉक्टरों का भी कहना है कि अगर दोबारा कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आए तो डरने की जरुरत नहीं हैै। ये दूसरों को संक्रमित नहीं करता है। रिसर्च के अनुसार दक्षिण कोरिया में 100 मरीजों की रिपोर्ट जारी हुई थी जिसमें बताया गया था कि ठीक होने के बाद वे दोबारा पॉजिटिव आए हैं। इसके बाद कई अन्य देशों में ऐसी बातें सामने आईं। ठीक होने के बाद कोरोना मरीजों के फेफड़े अपने आप को रिकवर करते हैं। ऐसे में वहां मौजूद डेड सेल्स बाहर की तरफ आने लगते हैं। वास्तव में ये फेफड़े के ही छोटे-छोटे अंश होते हैं जो नाक या मुंह के रास्ते बाहर निकलते हैं। ये डेड सेल्स संक्रामक वायरस है। इंसान का शरीर खुद को रिकवर करता है।