महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में साल 2008 में हुए आंतंकी हमले को आज पूरे 16 साल हो गए हैं। इस हमले में कुल 164 लोग मारे गए थे। 300 से ज्यादा लोग इस हमले में घायल हुए थे। पाकिस्तान के लश्कर-ए-तैयबा के 10 आंतकियों ने इस हमले को अंजाम दिया था।
पाकिस्तान से गुजरात के रास्ते भारत आए आतंकी
बता दें कि इस हमले की रुपरेखा आतंकियों ने पहले ही तय कर दी थी। 21 नंवबर 2008 को दस आतंकी नाव में पाकिस्तान से गुजरात के रास्ते भारत आए थे। इस दौरान रास्ते में ही चार आतंकियों ने चार मछुआरों को भी मार डाला था और नाव के कप्तान को भारत में एंट्री दिलवाने की धमकी दी थी। आतंकियो ने मुंबई में दाखिल होते ही ताज होटल, ओबेरॉय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस पर हमला कर दिया। इस हमले में ताज हमले में लगभग छह विस्फोट हुए और इसमें कई लोग मारे गए।
गौतम अडानी उस दिन कर रहे थे ताज में डिनर
बता दें कि 26 नवंबर 2008 को जब इस होटल में हमला हुआ था, उस समय देश के सबसे अमीर व्यक्ति गौत अडानी वहां डिनर कर रहे थे। गौतम अडानी ने इसी होटल के बेसमेंट में छिपकर अपनी जान बचाई थी। बाद में एनएसजी कमांडोज ने स्थिति को काबू में किया और और फिर उन्हें वहां से सुरक्षित निकाला।दरअसल, गौतम अडानी से होटल के वेदर क्राफ्ट रेस्टोरेंट में दुबई पोर्ट के सीईओ मोहम्मद शराफ के साथ डिनर कर रहे थे। चूंकि वो कुछ ऊंचाई पर बैठे थे, इसलिए उन्होनें दूर से ही देख लिया था कि कुछ आतंकी होटल में घुस आए हैं और फायरिंग कर रहे हैं।
होटल में 4 दिनों तक लोगों को बनाया बंधक
इस होटल में आतंकियों ने 4 दिनो तक लोगों को बंधक बनाए रखा था और उसमें से कई लोगों को अंधाधुंध गोलीबारी में मार दिया था।
26/11 हमले में 164 लोग मारे गए
मुंबई में अलग-अलग जगह में हुए इस हमले में 164 लोग मारे गए थे और 600 से ज्यादा लोग इसमें घायल हुए थे।
10 में से 9 आतंकवादी मारे गए थे
इस हमले में 10 में से 9 आतंकवादी मारे गए थे लेकिन एक आंतकी मोहम्मद अजमल आमिल कसाब जिंदा पकड़ा गया था। बाद में कोर्ट के फैसले के बाद यरवदा जेल में कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी दी गई थी। आंतकियों को मार गिराने में मरीन कमांडो और एनएसजी कमांडो ने अहम भूमिका निभाई थी।
सेवानिवृत्त फौजी तुकाराम ओंबले की बहादुरी
इस हमले में सेवानिवृत्त फौजी तुकाराम ओंबले और मुंबई पुलिस के सहायक सब इंस्पेक्टर ने आतंकवादी अजमल कसाब को पकड़ने के लिए अपनी जान दे दी। बाद में ओंबले को बहादुरी और वीरता के लिए अशोक चक्र से सम्मानित किया गया था।
हाफिज सईद 26/11 हमले का मास्टरमाइंड
कहा जाता है कि जमात-उद-दावा का मुखिया हाफिज सईद 26/11 के मुंबई हमलों का मास्टरमाइंड है। वह आज भी पाकिस्तान में है।