केदारनाथ मार्ग पर पिछले साल हुई घोड़े-खच्चरों की मौत के बाद इस बात के दावे किए गए कि घोड़े-खच्चरों को यात्रा के दौरान गर्म पानी और पर्याप्त पानी दिया जाएगा। लेकिन ये दावे यात्रा शुरू होने के कुछ ही दिनों में फेल साबित हुए हैं। केदारनाथ मार्ग पर 15 दिनों में ही 16 घोड़े-खच्चरों की मौत हो गई है।
15 दिनों में 16 घोड़े-खच्चरों की हुई मौत
पिछले साल चारधाम यात्रा के दौरान केदारनाथ मार्ग पर हुई घोड़े-खच्चरों की मौत के बाद कई दावे किए गए। लेकिन यात्रा के पहले पखवाड़े में ही ये दावे फेल होते नजर आ रहे हैं। यात्रा शुरू होने के 15 दिनों में ही 16 घोड़े-खच्चरों की मौत हो गई है। जो कि किए गए इन दावों की पोल खोल रहा है।
घोड़े-खच्चरों को नहीं मिल रहा गर्म पानी और पर्याप्त आराम
घोड़े-खच्चरों की मौत पर पशु चिकित्सकों का कहना है कि घोड़े-खच्चरों को आराम और गर्म पानी नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण उनके पेट में गैस बन रही है और उनकी मौत हो रही है। इसके साथ ही बर्फ और पैदल मार्ग पर फिसल कर गिरने से भी कुछ घोड़े-खच्चरों की मौत हुई है।
असहनीय दर्द से मर रहे बेजुबान
पशु चिकित्सकों का घोड़े-खच्चरों की मौत पर कहना है कि गौरीकुंड से केदारनाथ तक 16 किमी की चढ़ाई और वापसी में 16 किमी का ढलान इन जानवरों के लिए भारी साबित हो रहा है। हालांकि संचालकों द्वारा घोड़े-खच्चरों को सूखा भूसा, गुड़ और चना खिलाया जा रहा है लेकिन पर्याप्त आराम व गर्म पानी नहीं दिया जा रहा है।
ऐसे में पर्याप्त आराम ना मिलना उनके लिए जानलेवा साबित हो रहा है। क्योंकि ऐसे में भूसा, गुड़ व चना खाते ही जानवरों के पेट में गैस बन रही है। गैस के कारण उनको असहनीय दर्द हो रहा है और उनकी मौत हो रही है।
मिली जानकारी के मुताबिक अब तक ऐसे 10 मामले हो चुके हैं। जबकि छह घोड़ा-खच्चरों की मौत ढलान पर फिसलने से हुई है। पशु चिकित्सकों के मुताबिक जानवरों का प्रबंधन भी उचित ढंग से नहीं हो रहा है।