Rudraprayag : केदारनाथ आपदा की 11वीं बरसी : मंजर याद आते आज भी कांप उठते हैं लोग, पढ़ें कुदरत के कहर के बाद कितनी बदली केदारपुरी? - Khabar Uttarakhand - Latest Uttarakhand News In Hindi, उत्तराखंड समाचार

केदारनाथ आपदा की 11वीं बरसी : मंजर याद आते आज भी कांप उठते हैं लोग, पढ़ें कुदरत के कहर के बाद कितनी बदली केदारपुरी?

Sakshi Chhamalwan
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11th anniversary of Kedarnath disaster

16 जून 2013 में आई केदारनाथ में आपदा ने मंदिर छोड़ बाकी सब तबाह कर दिया था। ये आपदा देश ही नहीं बल्कि दुनिया की भयंकर और भीषण आपदाओं में से एक थी। इस आपदा में हजारों लोग मारे गए। कई लोग लापता हो गए, जिनका आजतक कुछ पता नहीं चल पाया है। लोग आज भी जब उस आपदा के बारे में बात करते हैं, तो कांप उठते हैं। शरीर में सिहरन सी उठने लगी है। हालांकि आज से 11 साल पहले केदारनाथ आपदा ने जो जख्म दिया था, वह अब भरने लगा है। केदारपुरी की सूरत बदल रही है।

केदारनाथ आपदा की 11वीं बरसी आज

आज से ठीक 11 साल पहले 16 जून 2013 आज ही के दिन कुदरत ने केदारनाथ समेत राज्य के पर्वतीय जिलों में जो तांडव मचाया था, उसे याद करते हुए आत्मा कांप जाती है। केदारनाथ की जलप्रलय में 4400 से अधिक लोगों की मौत हो गई। केदारपुरी आज भले ही नए रंग-रूप में संवरने लगी हो, लेकिन आज भी केदारनाथ जाते वक्त आपदा के वो जख्म हरे हो जाते हैं। उनको याद कर लोग कांप उठते हैं। घाटी में जब भी तेज बारिश होती है, लोगों में 11 साल पहले आई भीषण आपदा का दर्द कंपकंपी छुटा देता है।

कुदरत के कहर के बाद बदल रही केदारपुरी

इस प्रलय में सिवाय मंदिर के सब धवस्त हो गया था। रामबाड़ा से आगे पैदल रास्ता भी पूरी तरह ध्वस्त हो गया था। तब सभी को लगा था कि भविष्य में केदारपुरी पुरानी जैसी नहीं हो पाएगी। लेकिन, आपदा के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट के तहत केदारपुरी संवरने लगी और हर साल तीर्थयात्री बड़ी संख्या में धाम में पहुंचने लगे। केदारनाथ में आई आपदा के 11 साल बाद आज बड़ी संख्या में तीर्थयात्री दर्शन करने पहुंच रहे हैं।

चारों धाम में सबसे अधिक तीर्थयात्री पहुंचते हैं केदारनाथ

2013 से पहले जहां सीमित संख्या में तीर्थयात्री बाबा केदार के दर पर पहुंचते थे तो वहीं अब बदलते स्वरूप, निखरती केदारपुरी में सबसे ज्यादा लोग पहुंच रहे हैं। 2022 के बाद केदारनाथ में रात के समय में भी मंदिर को तीर्थयात्रियों के लिए खुला रखना पड़ रहा है। हर दिन 20 हजार से ज्यादा तीर्थयात्री दर्शन करने के लिए मंदिर पहुंच रहे हैं। वर्तमान में चारों धाम में सबसे अधिक तीर्थयात्री केदारनाथ धाम के दर्शन के लिए ही पहुंच रहे हैं।

पैदल मार्ग की चुनौतियां अनदेखी कर बाबा के द्वार पहुंचते हैं श्रद्धालु

आस्था के आगे श्रद्धालुओं को 16 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग की चुनौतियां भी नहीं दिखाई देती। देश-विदेश से श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन करने पहुंचते हैं। धाम में न केवल तीर्थ यात्रियों के खाने-ठहरने की सुविधाएं बढ़ी हैं, बल्कि केदारपुरी की पहाड़ियों पर विकसित ध्यान गुफाएं भी देश-विदेश का ध्यान खींच रही हैं। इससे केदारघाटी में छोटे-बड़े व्यापारी और होटल व्यवसायियों के चेहरे भी खिले हुए हैं। वहीं केदारनाथ में बाबा के दर्शन करने के लिए हेली सेवाओं का भी काफी प्रय़ोग हो रहा है।

धारी देवी की मूर्ति हटाने पर आई थी केदारनाथ में प्रलय

केदारनाथ में तबाही का सबसे बड़ा कारण माना जाता है मां धारी देवी का विस्थापन। कहा जाता है कि अगर धारी देवी का मंदिर विस्थापित नहीं किया जाता तो केदारनाथ में जलप्रलय नहीं आता। बता दें कि धारी देवी का मंदिर उत्तराखंड के श्रीनगर से 15 किलोमीटर दूर कालियासुर नामक स्थान में विराजमान था। बांध निर्माण के लिए 16 जून की शाम में 6 बजे शाम में धारी देवी की मूर्ति को यहां से विस्थापित कर दिया गया। इसके ठीक दो घंटे के बाद केदारघाटी में तबाही की शुरूआत हो गयी थी।

अशुभ मूहुर्त में कपाट खुलना भी मानी जाती है वजह

आमतौर पर चारधाम यात्रा की शुरूआत अक्षय तृतीया के दिन गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट खुलने से होती है। उस वर्ष 12 मई को दोपहर बाद अक्षय तृतीया शुरू हो चुकी थी और 13 तारीख को 12 बजकर 24 मिनट तक अक्षय तृतीया का शुभ मुहूर्त था। लेकिन गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट को इस शुभ मुहूर्त के बीत जाने के बाद खोला गया। खास बात ये हुई कि जिस मुहूर्त में यात्रा शुरू हुई वह पितृ पूजन मुहूर्त था। इस मुहूर्त में देवी-देवता की पूजा एवं कोई भी शुभ काम वर्जित माना जाता है। इसलिए अशुभ मुहूर्त को भी विनाश का कारण माना जा रहा है।

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Sakshi Chhamalwan उत्तराखंड में डिजिटल मीडिया से जुड़ीं युवा पत्रकार हैं। साक्षी टीवी मीडिया का भी अनुभव रखती हैं। मौजूदा वक्त में साक्षी खबरउत्तराखंड.कॉम के साथ जुड़ी हैं। साक्षी उत्तराखंड की राजनीतिक हलचल के साथ साथ, देश, दुनिया, और धर्म जैसी बीट पर काम करती हैं।