नई दिल्ली- रोटोमैक कम्पनी के मालिक विक्रम कोठारी के देश छोड़कर विदेश जाने की बात सामने आ रही थी। इसी बीच सोमवार को सीबीआई ने उन्हें कानपुर से हिरासत में ले लिया है। सीबीआई ने 800 करोड़ रुपए के लोन ना चुकाने के मामले में कानपुर में छापेमारी की थी। यह छापेमारी बैंक ऑफ बड़ौदा की शिकायत पर की गई है।
स्थानीय मीडिया रिपोर्टों के अनुसार कंपनी के प्रवर्तक ने उनके विदेश भाग जाने की आशंकाओं को गतल बताया है। कोठारी ने कहा कि ‘मैं कानपुर का वासी हूं और मैं शहर में ही रहूंगा। हालांकि कारोबारी काम की वजह से मुझे विदेश यात्राएं भी करनी होती हैं।
कोठारी रोटोमैक पेन कंपनी के प्रवर्तक हैं
आपको बता दें कि कोठारी रोटोमैक पेन कंपनी के प्रवर्तक हैं। कोठारी ने पांच सार्वजनिक बैंकों से 800 करोड़ रुपये से अधिक का ऋण लिया था। सूत्रों के अनुसार कोठारी को ऋण देने में इलाहाबाद बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, इंडियन ओवरसीज बैंक और यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने अपने नियमों के पालन में ढिलाई की।
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये व इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये
कोठारी ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया से 485 करोड़ रुपये और इलाहाबाद बैंक से 352 करोड़ रुपये का ऋण लिया था। उन्होंने ऋण लेने के साल बाद कथित तौर पर ना तो मूलधन चुकाया और ना ही उस पर बना ब्याज।
कंपनी ने ली थी इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण
पिछले साल ऋण देने वाले बैंकों में शामिल बैंक ऑफ बड़ौदा ने रोटोमैक ग्लोबल प्राइवेट लिमिटेड को जानबूझकर ऋणचूक करने वाला (विलफुल डिफॉल्टर) घोषित किया था। इस सूची से नाम हटवाने के लिए कंपनी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय की शरण ली थी। जहां मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीबी भोसले और न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की खंडपीठ ने कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उसे सूची से बाहर करने का आदेश दिया था।
न्यायालय ने कहा था कि ऋण चूक की तारीख के बाद कंपनी ने बैंक को 300 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति की पेशकश की थी, बैंक को गलत तरीके से सूची में डाला गया है। बाद में रिजर्व बैंक द्वारा तय प्रक्रिया के अनुसार एक प्राधिकृत समिति ने 27 फरवरी 2017 को पारित आदेश में कंपनी को जानबूझ कर ऋण नहीं चुकाने वाला घोषित कर दिया।