हल्द्वानी- हल्द्वानी में एक ऐसा मामले का खुलासा हुआ जिसे सुनकर हैरानी हो रही है. कहीं किसी को कई महीनों से वेतन नहीं मिल रहा तो कहीं निर्धारित से ज्यादा सैलरी दी जा रही है. हम बात कर रहे है उत्तराखंड के शिक्षा विभाग की..जहां शिक्षकों को निर्धारित वेतनमान से ज्यादा मिल रहा है. वो भी एक नहीं दो नहीं बल्कि 11 सालों से.
वेतन की वसूली भी शुरू हो गई है
मीडिया रिपोर्ट की माने तो जांच के बाद हुए इस खुलासे ने शिक्षा विभाग की कार्यशैली पर सवालिया निशान खड़े कर दिये हैं। सबसे ज्यादा हैरानी तो तब हुई जब ये खुलासा हुआ कि शिक्षकों को एक-दो या पांच नहीं बल्कि करीब 11 साल से अधिक वेतन मिल रहा था, जिस पर न तो शिक्षा विभाग ने ध्यान दिया और न ही शिक्षकों ने इसे बताना सही समक्षा. हालांकि अब वेतन की वसूली भी शुरू हो गई है।
50 से अधिक शिक्षकों को अधिक वेतनमान दिया जा रहा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार शिक्षा विभाग को इस बात की जानकारी 2017 में हुई शिक्षकों के खातों में अधिक सैलेरी जा रही है। इसके बाद जब जांच शुरू की गई तो पता चला कि सातवें वेतनमान के अनुसार नैनीताल जिले में 50 से अधिक शिक्षकों को अन्य ब्लॉकों के शिक्षकों की अपेक्षा अधिक वेतनमान दिया जा रहा है।
2006 से हो रहा शिक्षकों के खाते में अधिक वेतन
जांच रिपोर्ट में सामने आया कि 2006 से लोगों के खाते में सातवें वेतनमान के मानदेय से कही ज्यादा पैसा खातों में ट्रांसफर हो रहा है। इस लापरवाही के सामने आने के बाद अब अधिक वेतन पर मौज काट रहे शिक्षकों से रिकवरी शुरू कर दी गई है। आपको बता दे कि ये सभी शिक्षक सीधी भर्ती के सापेक्ष में ज्यादा वेतनमान ले रहे थे।
वहीं इस मामले पर खंड शिक्षा अधिकारी हरेंद्र मिश्रा का कहना है कि इन सभी शिक्षकों के वेतनमान और एयर की कटौती शुरू कर दी है। इस कटौती से उनको दिये अधिक वेतन को रिकवर किया जायेगा। वसूली के लिए किश्त भी तय कर दी गई है।
लेकिन बड़ा सवाल लापरवाही पर खड़ा होता है. कहीं किसी को कई महीने से वेतन नहीं मिला और कईयों को एक्ट्रा सैलरी दी जा रही थी. न जाने अभी कितने ऐसे मामले है जो संज्ञान में ही नहीं है.