देहरादून- उत्तराखंड में अब दोषी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी कलम की मार से नहीं बच पाएंगे। आरोपों की समयबद्ध जांच भी होगी और दोषी पाए जाने पर दंड भी मिलेगा। वहीं बेकसूर कर्मचारी लंबे समय तक कुंठित नहीं रहेंगे। हर तीन महिने में दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
ये बात इसलिए कही जा रही है कि राज्य के मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने समस्त अपर मुख्य सचिव, समस्त प्रमुख सचिव, समस्त सचिव, प्रभारी सचिव तथा समस्त विभागाध्यक्षों को निर्देश दिये है कि सरकारी कर्मचारियों के विरूद्ध प्रचलित अनुशासनिक कार्यवाही को समयबद्ध रूप से निस्तारित करें।
मुख्य सचिव ने पत्र में लिखा है कि अनुशासनिक कार्यवाही के मामलों में समय सारणी का कड़ाई से अनुपालन नहीं किया जा रहा है। सीएस ने विभागीय मुखियाओं को पत्र के जरिए नसीहत देते हुए कहा है कि अनुशासनिक कार्यवाही के मामले में देर होने से सम्बन्धित आरोपों को सिद्ध कर सकने वाले साक्ष्यों के मिट जाने की पूरी संभावना रहती है। इससे दोषी सरकारी सेवक दण्ड पाने से बच जाते हैं। जबकि अनुशासनिक जांच के लम्बे समय तक चलते रहने से आरोपित सरकारी सेवक के पदोन्नति आदि के सेवा सम्बन्धी मामले लम्बे समय तक लम्बित रहते हैं। जिससे जहां बेकसूर आरोपित सरकारी सेवक में कुंठा उत्पन्न होती है वहीं काडर मैनेजमेंट में भी समस्याएं उत्पन्न होती है।
मुख्य सचिव ने पत्र में उल्लिखित किया है कि अनुशासनिक कार्यवाही के समयबद्ध निस्तारण हेतु कार्मिक विभाग द्वारा विभिन्न शासनादेशों के माध्यम से समय सारिणी निर्धारित करते हुए प्रत्येक अनुशासनिक कार्यवाही का अनुश्रवण करने की व्यवस्था निर्धारित की गयी है जिसमें अनुशासनिक कार्यवाही का रजिस्टर तैयार किये जाने, कार्यवाहियों के समयबद्ध निस्तारण सुनिश्चित करने, उनके अनुश्रवण हेतु नोडल अधिकारी नामित किये जाने, समय-सारिणी का पालन न करने वाले अधिकारी के विरूद्ध विभागाध्यक्ष द्वारा प्रत्येक माह सचिव स्तर पर आख्या प्रस्तुत करने और जिन प्रकरणों में विलम्ब दुष्टिगोचर हो उसकी आख्या मुख्य सचिव स्तर पर भेजे जाने का प्राविधान है।
मुख्य सचिव ने अपर मुख्य सचिव वन एवं पर्यावरण विभाग, प्रमुख सचिव कार्मिक विभाग, प्रमुख सचिव गृह विभाग को जारी पत्र में यह भी उल्लिखित किया है कि वे अपने नियंत्राणाधीन समस्त विभगाों के शासन स्तर एवं विभागीय स्तर पर प्रचलित अनुशासनिक कार्यवाही के समयबद्ध निस्तारण हेतु नोडल अधिकारी नामित करते हुए प्रकरणों की स्वयं समीक्षा कर लें तथा लम्बित रहने के कारणों को दूर करते हुए उनका निस्तारण कर लें तथा संबंधित त्रैमासिक सूचना निर्धारित प्रारूप पर सतर्कता विभाग को 31 मार्च, 30 जून, 30 सितम्बर एवं 31 दिसम्बर तक उपलब्ध करा दें।