देश के दो पूर्वोत्तर राज्य असम और अरुणाचल प्रदेश को जोड़ने वाला देश के सबसे लंबा पुल बनकर तैयार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज इस पुल का उद्घाटन करेंगे. संयोग से इसी दिन नरेंद्र मोदी की सरकार अपने तीन साल पूरे कर रही है लेकिन पुल का निर्माण तो कांग्रेस के समय में हुआ था. इस पुल से सुदूर उत्तर-पूर्व के लोगों के लिए आने जाने की सुविधा के साथ कारोबार को बढ़ावा भी मिलेगा..अरुणाचल-चीन बॉर्डर पर पहुंचने में आसानी होगी.
ये है पुल की खासियतें…..
- ढोला-सादिया ब्रह्मपुत्र पुल की लंबाई 9.15 किमी है.
- ये पुल बांद्रा-वर्ली सी-लिंक से भी 30% लंबा है.
- ये पुल 182 खंभों पर टिका है.
- पुल इतना मजबूत बनाया गया है कि 60 टन के मेन बैटल टैंक भी गुजर सकें.
- इससे चीन सीमा तक के सफर में 4 घंटे की कटौती होगी.
- इसे बनाने का काम 2011 में शुरू हुआ और इस पूरे प्रोजेक्ट की लागत 950 करोड़ की है
- यह ब्रिज पूर्वोत्तर के दो राज्यों असम-अरुणाचल को जोड़ेगा.
- ये पुल असम की राजधानी दिसपुर से 540 किमी और अरुणाचल की राजधानी ईटानगर से 300 किमी दूर है.
- चीन की सीमा का एरियल डिस्टेंस या हवाई दूरी 100 किमी से भी कम की है.
- तेजपुर के करीब कलाईभोमोरा पुल के बाद ब्रह्मपुत्र पर अगले 375 किमी याली ढोला तक बीच में कोई दूसरा पुल नहीं है.
- अभी तक इस इलाके में नदी के आरपार सारे कारोबार नावों के जरिए ही होते रहे हैं.
- जनता के आने जाने और कारोबार के अलावा इससे सेना की आवाजाही में भी बेहद सुविधा होगी.
- इतना ही नहीं ये भूकंप के झटके भी आसानी से झेल सकता है.
भले ही केंद्र में सत्ताधारी भाजपा सरकार के तीन साल पूरे होने के साथ-साथ पीएम मोदी आज इस पुल का उद्धाटन कर रहे है लेकिन सच तो ये है कि इस पुल के निर्माण की कवायद तो 2011 में ही यानि जब कांग्रेस सत्ता में थी तब ही शुरु हो गयी थी।