देवप्रयाग- उत्तराखंड सरकार ने उस वक्त सोचा भी नहीं होगा कि उनके एक फैसले से लोकतंत्र की बुनियाद पर असर होने लगेगा। जनता विरोध पर उतर जाएगी और मतदाता सूची में अपने नाम को दर्ज करने की खिलाफत करने लगेंगे। लेकिन ऐसा होने लगा है।
उत्तराखंड सरकार के नगर निकायों का दायरा बढाए जाने के फैसले का विरोध अब उस हद तक पहुंच गया है जहां जनता ने वोटर लिस्ट में नाम दर्ज करवाने से ही मना कर दिया है। देवप्रयाग नगर पालिका क्षेत्र में शामिल किए जाने वाले 15 गांवों के ग्रामीणों ने गांवों को पालिका क्षेत्र में शामिल किए जाने पर अपनी गहरी नाराजगी जताई है।
गुस्साए ग्रामीणों ने पालिका की मतदाता सूची में नामांकन न कराने की ठान ली है। जबकि गांव बचाओ संघर्ष समिति के जरिए सूबे के शहरी विकास मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया है। जिसमें परिसीमन की सूचना को रद्द करने की मांग की गई है।
इतना ही नहीं देवप्रयाग पालिका क्षेत्र में शामिल किए जा रहे इलाके के ग्रामीणों ने पालिका की मतदाता सूची में नाम दर्ज न कराने की चेतावनी दी है। ग्रामीणों ने नायब तहसीलदार यशवीर सिंह के जरिए शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक को ज्ञापन भेजा है जिसमें परिसीमन की सूचना वापस लेने की मांग की है।
ग्रामीणो का तर्क है कि गांवों के शहर बन जाने से न केवल गांव मर जाएंगे बल्कि मनरेगा के तहत जॉब कार्ड धारकों को भी योजना से वंचित रहना होगा। वहीं कहा कि पालिका में शामिल किए जाने पर ग्रामीण क्षेत्रों में राज्य वित्त व जिला पंचायत की ओर से होने वाले विकास कार्य भी प्रभावित होंगे।
ऐसे में ग्रामीणों ने पालिका की ओर से बनाई जा रही मतदाता सूची का पुरजोर विरोध करते हुए चेतावनी दी है कि, अगर सरकार की ओर से जल्द ही परिसीमन की सूचना रद्द नहीं की जाती है तो ग्रामीण आंदोलन को बाध्य हो जाएंगे।