विधि आयोग ने सभी धर्मो के लिए शादी का पंजीकरण अनिवार्य करने और शादी का पंजीकरण न कराने पर प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाए जाने की सिफारिश की है। इतना ही नहीं आयोग ने शादी के रेजिस्ट्रेशन को ‘आधार’ से जोड़ने का भी सुझाव दिया है ताकि सभी जगह समान रूप से रिकार्ड जांचा जा सके।
आयोग ने कहा है कि इसके लिए अलग से कानून की जरूरत नहीं है बल्कि जन्म और मृत्यु पंजीकरण कानून में संशोधन कर विवाह पंजीकरण को शामिल किया जाए और जन्म व मृत्यु की तरह ही शादी का भी पंजीकरण किया जाए।
विधि आयोग ने ये सुझाव अनिवार्य विवाह पंजीकरण पर मंगलवार को कानून मंत्रलय को सौंपी अपनी 270वीं रिपोर्ट में दिये हैं। कानून मंत्रलय ने गत 16 फरवरी को रिफरेंस भेज कर आयोग से विवाह पंजीकरण अनिवार्य करने पर विचार करने को कहा था। 38 पृष्ठ की रिपोर्ट में आयोग ने विवाह पंजीकरण अनिवार्य किये जाने पर कोर्ट के मौजूदा फैसले.
विभिन्न राज्यों के कानून देश की विभिन्नता भरी संस्कृति तथा दुनिया में व्याप्त व्यवस्था और कानून का आंकलन करके कहा है कि भारत में भी शादी का पंजीकरण अनिवार्य होना चाहिए। कुछ राज्यों में अभी भी ये व्यवस्था है लेकिन आयोग ने इसके लिए केंद्रीकृत नेशनल पोर्टल की सिफारिश की है।
ये सभी धर्मो, समुदायों और जनजातियों के लिए समान रूप से लागू होना चाहिए और इसके लिए किसी पर्सनल लॉ, सामाजिक परंपरा अथवा रीति रिवाज या फिर मौजूदा कानून में दखल देने की जरूरत नहीं है। इसके लिए सिर्फ जन्म और मृत्यु पंजीकरण कानून में संशोधन कर विवाह को शामिल किया जाए और शादी का भी पंजीकरण अनिवार्य किया जाए।
लगेगा जुर्माना
आयोग ने जन्म और मृत्यु पंजीकरण संशोधन विधेयक 2015 में शादी पंजीकृत न कराने पर जुर्माने के प्रावधान की भी सिफारिश की है। कहा है कि अगर बिना किसी उचित कारण के शादी के पंजीकरण में देर की गई है तो पांच रुपये प्रति दिन के हिसाब से जुर्माना लगेगा। हालांकि पेनाल्टी एक निश्चित तिथि से ही लगाई जाएगी और उसकी रकम देश की परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अधिकतम 100 रुपये होगी।