नई दिल्ली- मोबाइल फोन आज हर किसी की दिनचर्या का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया है। सुबह उठते ही हम सबसे पहले अपना फोन देखते हैं और रात को सोते समय भी हाथ में आखिरी चीज हमारा फोन ही होता है। कई बार हम फोन का इस्तेमाल खाते समय भी करते हैं। उसी हाथ से हम खा रहे होते हैं और फिर उसी हाथ से बार-बार मोबाइल को स्पर्श कर रहे होते हैं। लेकिन अगर आपसे ये कहा जाए कि आपका फोन एक टॉयलेट सीट से भी ज्यादा गंदा हो सकता है तो.
मोबाइल फोन पर टॉयलेट सीट से तीन गुना ज्यादा कीटाणु पाए जाते हैं
एक रिपोर्ट के अनुसार, मोबाइल फोन पर टॉयलेट सीट से तीन गुना ज्यादा कीटाणु पाए जाते हैं। इंग्लैंड में स्थित एक गैजेट बीमा कंपनी 2Go द्वारा किए गए अध्ययन के मुताबिक, एक तिहाई से अधिक यूजर्स अपना फोन किसी तरल पदार्थ के साथ साफ नहीं करते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि टॉयलेट सीट की तुलना में औसत स्मार्टफोन की स्क्रीन पर तीन गुना अधिक गंदगी पाई जाती है। स्काई डॉट कॉम ने अध्ययनों का हवाला देते हुए कहा कि 20 स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं में से सिर्फ एक यूजर अपने मोबाइल को 6 महीने में एक बार साफ करता है, जो कि बहुत खतरनाक है। मोबाइल की सतह पर पाए जाने वाले बैक्टीरिया आपको बीमार कर सकते हैं।
मोबाइल पर इनकी प्रजाति की संख्या 10 से 12 होती है
स्मार्टफोन पर टॉयलेट सीट से ज्यादा बैक्टीरिया पाए जाते हैं। जहां टॉयलेट सीट में बैक्टीरिया की 3 प्रजातियां पाई जाती हैं। वहीं, मोबाइल पर इनकी प्रजाति की संख्या 10 से 12 होती है। मोबाइल की स्क्रीन पर ई-कोलाइ और फीकल जैसे खतरनाक बैक्टीरिया पाए जाते हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि अमेरिका में लोग एक दिन में न्यूनतम 47 बार फोन चेक करते हैं। इससे उनके हाथों के कीटाणु मोबाइल पर चले जाते हैं।
औसत तौर पर मोबाइल पर 10 से 12 प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं
यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया के प्रोफेसर डॉक्टर विलियम डीपाउलो ने इससे संबंधित एक स्टडी की है। इसमें उनकी टीम ने एक कंपनी के कर्मचारियों के मोबाइल फोन्स की स्क्रीन पर मौजूद बैक्टीरिया के सैंपल जमा किए। इसमें पाया गया कि औसत तौर पर मोबाइल पर 10 से 12 प्रकार के बैक्टीरिया होते हैं। जबकि टॉयलेट सीट पर बैक्टीरिया की 3 प्रजातियां पाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि आप खाना खाते समय कभी भी फोन का इस्तेमाल न करें।
फोन पर आए पसीने और मैल में अच्छी तरह पनप जाते हैं ये सूक्ष्मजीव
मोबाइल फोन रसोई से लेकर सार्वजनिक परिवहन तक लगभग हर तरह के वातावरण में ले जाए जाते हैं, ऐसे में फोन पर आए पसीने और मैल में ये सूक्ष्मजीव अच्छी तरह पनप जाते हैं। पुणे में योगेश और एनसीसीएस में उनके समूह ने 27 मोबाइल फोनों की स्क्रीनों से नमूने इकट्ठा किए। इस काम से जुड़े सह-परीक्षणकर्ता प्रवीण राही ने कहा कि ये सूक्ष्मजीव इंसानों के जरिए मोबाइल की सतह पर आते हैं और आम तौर पर हमारे शरीर पर पनपते हैं।
साबुन के पानी में एक कपड़े को हल्का सा भिगोकर इसे साफ कर लिया जाए
मोबाइल फोन को स्वच्छ रखने का सबसे आसान तरीका है कि इन्हें टॉयलेट में न ले जाया जाए और समय-समय पर साबुन के पानी में एक कपड़े को हल्का सा भिगोकर इसे साफ कर लिया जाए। इस्तेमाल करने के पहले हैंडसेट को पूरी तरह सुखा लिया जाए। ऐसा कहा जाता है कि मोबाइल की सफाई के लिए व्यवसायिक द्रव्यों और सेनीटाइजरों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और मोबाइल साफ करने से पहले उसे ऑफ कर देना चाहिए।