अल्मोड़ा- पहाड़ खाली हो रहे हैं, जंगली जानवर जंगल से निकलकर आबादी में अपना निवाला तलाश रहे हैं। बंदर,सुअर और सेही जैसे जानवरों ने खेत-खलिहानों को बंजर बना दिया है। भालू और शेर चारा लेने नहीं जाने देते। शराब गांव-गांव पहुंच चुकी है लेकिन पानी की एक-एक बूंद के लिए कई गांव तरस रहे हैं। बावजूद इसके सरकारों की चुप्पी नहीं टूट रही है। सूबे की निर्वाचित सरकारों पर ये आरोप दागे हैं मातृशक्ति ने।
द्वारहाट नगर में विभिन्न विकासखंडों से आई मातृशक्ति ने जोरदार प्रदर्शन किया और महिला एकता परिषद के बैनर तले स्थानीय ऐतिहासिक शीतला पुष्कर मैदान में सिस्टम के खिलाफ हुंकार भरते हुए महापंचायत की। इस मौके पर परिषद की राज्य संयोजक अनुराधा पांडे ने महापंचायत को संबोधित करते हुए कहा कि जंगली जानवरों के आतंक से गांवों की खेती बाड़ी बर्बाद हो चुकी है। पहाड़ उदास नहीं बल्की वीरान हो चुके हैं जबकि जंगलों के लिए बनी सरकारी नीति ने ही जंगलों को उजाड़ कर रख दिया है। यही कारण है कि पहाड़ में पानी का संकट बढ़ता ही जा रहा है। बुनियादी सहूलियत न मिलने के चलते गांव खाली होने लगे हैं।
महापंचायत का संचालन करते हुए मधुबाला कांडपाल ने कहा पहाड़ और पलायन पर हर कोई बोल रहा है लेकिन ये सब भाषणों तक ही सीमित है। हकीकत में कुछ भी नहीं हो रहा है। न ईमानदार नीति है न उस पर कोई ठोस पहल। पहाड़ी गांव बदहाली के आलम में जी रहे हैं। जरूरत है इससे निजात दिलाने की ताकि गांव आबाद रहे और शहर स्वस्थ। बहरहाल द्वारहाट की महिला महापंचायत में फैसला लिया गया कि इस बार वोट उसको जो समस्याओं के निदान का लिखित वादा करेगा। बहरहाल देखना ये है कि चुनावी मैदान में उतरने वाले क्या तिकड़म भिडाते हैं।