उत्तरकाशी, संवाददाता- जनपद मे गंगोत्री धाम के मुख्य पड़ाव गंगनानी मे करोड़ो रुपए खर्च होने के बाद भी अस्पताल भवन वीरान पड़ा है |
साल 2011 मे तत्कालीन मुख्यमंत्री निशंक ने इस अस्पताल भवन का लोकार्पण किया था | साल 2013 में आपदा आई और इस अस्पताल भवन का कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया |उसके बाद इस सरकारीइस अस्पताल की सुरक्षा के लिए 2 करोड़ की लागत से सुरक्षा दीवार बनाई गयी।
बावजूद इसके अस्पताल की इमारत चिकित्सकों से गुलजार नहीं हुई। करोड़ों की इमारत सूनी पड़ी है। आलम ये है कि गंगनानी में आबादी के पास स्वास्थ्य उपकेंद्र से अस्पताल संचालित हो रहा है।
हालांकि अभी तक 2011 से अस्पताल के इस सूने भवन में बिजली पानी का इंतजाम नहीं हुआ है लेकिन तकरीबन 12 लाख का प्रस्ताव जिला योजना में भेजा गया है। मंजूर हुआ तो ठीक वरना स्वास्थ्य महकमें का कहना है कि बिजली पानी का प्रस्ताव अपने महकमें को भेजा जाएगा।
गजब बात तो ये है कि स्वास्थ्य महकमे को इस बारे पता नहीे है कि वीरान अस्पताल की सुरक्षा दीवार किस ऐजेंसी ने बनवाई। उत्तरकाशी के सीएमओ डा. मेजर बचन सिंह की माने तो सूने पड़े गंगनानी अस्पताल की सुरक्षा दीवार के लिए स्वास्थ्य महकमें ने किसी तरह का कोई प्रस्ताव शासन को नहीं भेजा था। सुरक्षा दीवार का निर्माण कार्य किस ऐजेंसी ने किया उन्हें इस बारे में मालूम नही है।
वहीं सीएमओ की माने तो अस्पताल की इमारत सुरक्षित जगह पर नहीं बनी है इसलिए महकमें के मुलाजिम आवासीय परिसर में जाने से कतरा रहे हैं। वहीं जिलाधिकारी डॉ आशीष कुमार श्रीवास्तव की माने तो गंगनानी का यह अस्पताल उनकी प्राथमिकता मे शामिल हैं। लिहाजा इसे हर हाल में दुरुस्थ किया जाएगा |
हालांकि ताजा हालात ये हैं कि अस्पताल परिसर मे मवेशी चुग रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर योजनाकारों ने अस्पताल जैसी बड़ी योजना के लिए जमीन का भौतिक सत्यापन कराया भी या नहीं?
आखिर महकमे से जगह को लेकर सलाह मशविरा क्यों नहीं किया गया ताकि साल 2011 में बना अस्पताल आज अपनी वीरानी पर आंसू नहीं बनाता बल्कि बीमार-लाचारों की सेवा टहल का केंद्र बनकर गुलजार होता।
ऐसे मे सवाल उठता है क्या ऐसी योजनाओं की जांच नहीं होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नही होनी चाहिए जो अनाप-शनाप योजनओं को मंजूर कर जनता के पैसे को अंधे कुंए में धकेल देते हैं।