देहरादून : आज हम अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहे हैं. राज्यभर में जगह-जगह महिलाओं को उत्कृष्ट काम करने के लिए सम्मानित किया जा रहा है…आज हम खुशियां मना रहे हैं लेकिन मुझे समझ नहीं आ रहा की हम किस बात की खुशी मना रहे हैं खास तौर पर उत्तराखंड में…जहां आज भी गर्भवती महिलाओं को चार लोग लकड़ी की पालकी में उठाकर अस्पताल ले जाने को मजबूर है, जहां आज भी कई जगहों पर गर्भवती महिलाओं को सही उपचार न मिलने के कारण मौत मिली, जहां कई महिलाओं का एम्बुलेंस औऱ सड़कों पर प्रसव हुआ है…जहां बीते दिन रेप पीड़िता को इलाज नहीं मिला और कहा गया पहले एफआईआर दर्ज कराओ…क्या हमारी सरकार आज इन बातों को ध्यान में रखकर महिलाओं को सम्मानित कर रही है.
लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि…चाहे बात करें राज्यपाल की दून SSP की
एक तरफ हमारा राज्य हमारा देश अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मना रहा है और दूसरी तरफ महिलाएं इस हाल में जीने को मजबूर हैं. महिलाएं मजबूर हैं ऐसे रहने को ऐसे जीने को. लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि महिलाओं ने एक ऐसा मुकाम हासिल किया है जिसे मिटाया नहीं जा सकता है। आज हर जगह महिलाओं की मौजूदगी इस बात को बखूबी बयां करती है। चाहे बात सेना की करें या जिले की कमान संभालने की या कुर्सी की…बात करे उत्तराखंड के राज्यपाल की या बात करे देहरादून एसएसपी औऱ टिहरी डीएम की…सबने अपने उत्कृष्ट काम के जरिए अपना लोहा मनवाया है…लेकिन जबतक समाज में महिलाओं के प्रति लोगों की सोच, रवैया नहीं बदलेगा, तब तक सिर्फ एक दिन ‘महिला दिवस’ महिलाओं के लिए मनाया जाता रहेगा।
लड़कियों को हर महीने माहवारी के दौरान पांच दिन स्कूल जाने से रोक दिया जाता
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में रौतगढ़ा गांव है। इस गांव की लड़कियों को हर महीने माहवारी के दौरान पांच दिन स्कूल जाने से रोक दिया जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन बच्चियों के स्कूल और गांव के रास्ते में एक मंदिर पड़ता है। स्थानीय लोगों का मानना है कि माहवारी के दौरान अगर महिलाएं या लड़कियां उधर से गुजरीं तो मंदिर अपवित्र हो जाएगा।
और तो और विधायक की मां भी तिल-तिल जीने को मजबूर है
जी हां महिला दिवस के मौके पर ऐसी खबर दिल में गुस्सा भर देती है…हम किसकी खुशी मना रहे हैं…आज उत्तराखंड के कई ग्रामीण इलाकों में महिलाएं बद से बदत्र जिंदगी जीने को मजबूर है. ताजा उदाहरण बीते दिन का है जब ओखलकांडा विकास खंड के सुदुरवर्ती गांव में रहने वाली भीमताल के विधायक राम सिंह कैड़ा की बीमार मां रेवती देवी को उपचार के लिए सात किमी डोली में बिठाकर सड़क तक लाया गया।
सड़क न होने के कारण सात किलो मीटर पैदल चलकर ले गिए विधायक की माता जी को
मिली जानकारी के अनुसार विधायक की माता रेवती देवी के पांव में सूजन है। गांव में इलाज न मिलने के बाद भी वह उपचार के लिए शहर नहीं आना चाहती हैं। उनका कहना है कि वह अपने गांव को किसी भी हाल में नहीं छोडऩा चाहतीं। बेटे के अनुरोध के बाद ग्रामीणों की मदद से सात किमी पैदल चलकर लोग उन्हें डोली में लेकर मुख्य मार्ग तक पहुंचे। दरअसल विधायक कैड़ा की माता अधिकांश समय गांव में ही रहती है। ठंड के दिनों में वह बेटे के साथ हल्द्वानी आ जाती हैं। इस बार भी वह कुछ दिन हल्द्वानी रहकर कैड़ा गांव पहुंची। जहां उनके पैर में सूजन आ गई। यहां से विधायक हल्द्वानी इलाज के लिए ले गए।
इस दौरान विधायक राम सिंह कैड़ा ने कहा कि घैना कूकना कैड़ा गांव के लिए मोटर मार्ग स्वीकृत हो गयी है.जिसके बाद जल्द ही मोटर मार्ग का निर्माण करा लिया जाएगा।
आजादी के बाद से आज तक यहां चहुंमुखी विकास नहीं हो सका है-विधायक
भीमताल विधायक राम सिंह कैड़ा ने जानकारी देते हुए बताया कि भीमताल विधानसभा की भौगोलिक और राजनीतिक परिस्थितियां ऐसी रही हैं कि आजादी के बाद से आज तक यहां चहुंमुखी विकास नहीं हो सका है। मैंने अपने डेढ़ साल में विधानसभा के लिए 33 मोटर मार्ग विधायक निधि से, लोक निर्माण विभाग से 11 और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से 13 मोटर मार्ग बनवाए हैं। कई में टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। जिसमें कैड़ा गांव भी शामिल है।
बड़ा सवाल है कि क्या सिर्फ एक दिन ‘महिला दिवस’ मनाने से बात बन जाएगी, क्या सिर्फ एक दिन महिलाओं को इज्जजत देकर तालियां बजाकर महिलाओं को सम्मान मिल पाएगा जिसकी वो हकदार है.