देहरादून- उत्तराखंड में भले ही इस बार मानसून सामान्य रहने की संभावना जताई जा रही हो, लेकिन अक्टूबर से दिसंबर तक 90 दिन के पोस्ट मानसून सीजन में बादलों ने सूबे पर वो प्यार नहीं बरसाया जिसकी उम्मीद की जा रही थी।
मौसम केंद्र के आंकड़े कहते हैं कि सूबे में बारिश सामान्य से करीब 75 फीसद कम रही है। मौसम की बेरुखी के कारण कृषि और बागवानी के सामने भी संकट खड़ा हो गया है।
सर्दियों की बरसात रबी की मुख्य फसल गेहूं, जौ, के साथ ही साथ सेब समेत दूसरे शीतकालीन फलों के लिए बेहद जरूरी है। कम बारिश से इस बात की आशंका भी जताई जा रही है कि पहाड़ी इलाकों में गर्मियों के दौरान पानी का संकट खड़ा हो सकता है।
मौसम विभाग के मुताबिक सूबे में एक अक्टूबर से 31 दिसंबर तक 90.1 मिमी बारिश होती है। इस लिहाज से देखें तो वर्ष 2007 में 77 फीसद, 2011 में 80 फीसद व 2016 में 81.6 फीसद बारिश कम हुई। हालांकि, उम्मीद जताई जा रही है कि नए साल में बादल मेहरबान रहेंगे और फसलों पर अपनी कृपा बरसाएंगे।