डेस्क– भारत के नामी शराब कारोबारी और बड़े आर्थिक अपराध के आरोपी विजय माल्या को ब्रिटेन भारत को सौंपेगा या नहीं इस पर ब्रिटेन की अदालत में दिसंबर महीने से सुनवाई शुरू हो जाएगी। इसके लिए अदालत ने तरीख और वक्त मुकर्रर कर दिया है। जिसके तहत विजय माल्या के भारत प्रत्यर्पण को लेकर ब्रिटिश कोर्ट में दो हफ्ते तक होने वाली सुनवाई 4 दिसंबर से शुरू हो जाएगी।
वेस्टमिंस्टर मैजिस्ट्रेट की अदालत को बताया गया कि भारत सरकार ने मुकदमे से जुड़े सारे साक्ष्य जमा करा दिए हैं और क्राउन प्रॉसिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने इनकी समीक्षा भी कर ली है। इसी जानकारी पर अदालत ने सुनवाई की तारीख तय कर दी। चीफ मैजिस्ट्रेट एमा अर्बथनट ने सीपीएस को जुलाई के आखिर तक सभी 2,000 पन्नों के साक्ष्य की समीक्षा करने का निर्देश दिया। माल्या का पक्ष रखनेवाले बेन वाटसन ने कहा, ‘हमारे पास अब 2,000 से ज्यादा पन्नों का दस्तावेज है। अभी यह अच्छी तरह से स्पष्ट नहीं है कि क्या ये सारे दस्तावेज काम के हैं। अगर हमें इस महीने के आखिर तक एक ओपनिंग नोट हाथ लग जाए तो हमें बड़ी मदद मिल जाएगी।’
वाटसन ने कोर्ट को कहा, ‘हमें उन साक्ष्यों का और गहन विश्लेषण करने की जरूरत है जिन पर वो प्रत्यर्पण मामले में कानूनी पड़तालों के लिए भरोसा जता रहे हैं, खासकर सेक्शन 84 (प्रत्यर्पण अधिनियम 2003) के लिए।’ सेक्शन 84 के तहत जज को तय करना होता है कि क्या उपलब्ध सबूत मुकदमा चलाने के लिहाज से पर्याप्त हैं। अगर ऐसा नहीं हो तो जज को आरोप से मुक्त करने का फैसला देना होता है।
भारत सरकार की तरफ से सीपीएस का प्रतिनिधित्व कर रहे मार्क समर्स क्यू सी ने कहा कि उन्हें इंडियन अथॉरिटीज से शानदार सहयोग मिला है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने प्रथम दृष्टया आरोप गठित करने के लिए जरूरी तथ्य सौंप दिए हैं और सीपीएस ने इनकी समीक्षा भी कर ली है। उन्होंने कहा, ‘इस तरफ से हम तैयार हैं और बहस करना चाहते हैं। हम कोर्ट से प्रत्यर्पण पर सुनवाई की अनुकूल तारीख जल्द-से-जल्द तय करने का आग्रह करते