देहरादून : उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव में कम ही समय बचा है। साथ ही दल बदलने का सिलसिला भी उत्तराखंड में जारी है। चुनाव के नजदीक आते ही उत्तराखंड में दल बदलने की राजनीति भी शुरु हो जाती है। पहले पुरोला से कांग्रेस विधायक भाजपा ने अपने पाले में बुलाए तो वहीं कांग्रेस ने भी बड़ा दांव खेलते हुए भाजपा के कैबिनेट मंत्री को ही अपनी तरफ कर लिया वो भी बेटे के साथ। यशपाल आर्य विधायक बेटे समेत कांग्रेस में शामिल हुए। फिर भाजपा ने निर्दलीय दो विधायकों को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इससे कांग्रेस में हलचल मची।
विधानसभा चुनाव पास आते ही राजनीतिक दलों में दल बदल की राजनीति और तेज हो जाती है। फिलहाल यह सिलसिला कांग्रेस और भाजपा में ही जारी है, ताकि जिताऊ कैंडिडेट को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कराया जाए और किसी भी तरीके से जीत हासिल कर सत्ता हासिल की जाए। कांग्रेस-भाजपा के बीच तोड़फोड़ की राजनीति जारी है लेकिन सवाल ये है कि दल बदलने और जिताऊ कैंडिडेट को अपनी पार्टी में शामिल करने और तोड़ फोड़ की राजनीति से दोनों पार्टियां सत्ता हासिल करने में कामयाब हो पाएगी? ये तोड़फोड़ की राजनीति क्या भाजपा कांग्रेस को जीत दिलाने में कारगार साबित होगी?
बीजेपी-कांग्रेस में होड़
उत्तराखंड में विधानसभा चुनावों करीबन 2 ढाई महीने का समय ही बचा है। पार्टी के लिए ये बचे हुए महीने काफी अहम हैं। क्योंकि इस वक्त में ही पार्टी को जनता के बीच पहुंचकर पैठ बनानी है और अपने लिए जिताऊ कैंडिडेट की तलाश भी करनी है. उत्तराखंड में इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी में सीधी टक्कर है। ये टक्कर कांटे की है। भाजपा बहुमत हासिल कर जीत का दावा कर रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस अपनी जीत का दावा कर रही है। आप जनता को एक मौका देने की बात कह रही है। यूकेडी ने प्रत्याशियों की लिस्ट जारी कर दी है।
दोनों पार्टियों को दल बदलू नेता खूब भा रहे हैं
भाजपा से लेकर कांग्रेस जिताऊ कैंडिडेट की तलाश में जुटी है। दोनों पार्टियों को दल बदलू नेता खूब भा रहे हैं। जो एक दूसरे पर वार करते हैं उनको उन्हीं की पार्टी में दलबदल कर आए नेता अच्छे लग रहे हैं। इसे तोड़फोड़ की ही राजनीति कहेंगे। कांग्रेस कह रही है कि प्रदेश में तोड़फोड़ की राजनीति भाजपा ने शुरू की। तो वहीं भाजपा का आरोप है कि कांग्रेस का चरित्र शुरू से ही तोड़फोड़ का रहा है.
अब जो भी सवाल ये है कि क्या ये तोड़फोड़ की राजनीति कांग्रेस और भाजपा को जीत हासिल करा पाएगी?