देहरादून में मेयर पद के टिकट की इच्छा रखने वाले बीजेपी नेता उमेश अग्रवाल और पार्टी के बीच सबकुछ ठीक होने के खबरें भले ही आ रहीं हो लेकिन ऐसा है ही ये दावे के साथ कहना मुश्किल है। फिर उमेश अग्रवाल प्रकरण से दौरान व्यापारी वर्ग और बीजेपी की दूरियां बढ़ीं हैं इससे इंकार नहीं किया जा सकता।
उमेश अग्रवाल का व्यापारी वर्ग में अच्छा दबदबा है और हमेशा से वो बीजेपी के लिए इस वोटबैंक को बनाए रखते हैं। लेकिन खबरें हैं कि इस बार मेयर पद का टिकट भी नहीं दिए जाने से उमेश के साथ जुड़े व्यापारी खासे नाराज हैं। फिर ये नाराजगी अब विधानसभा चुनावों में उमेश अग्रवाल का टिकट काटने का बदला लेना चाहती है।
वैश्य समाज में फूट का खामियाजा इस बार बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ा कर सकता है। सूत्रों की माने तो बीजेपी के एक अन्य नेता और उमेश अग्रवाल के बीच वैश्य समाज में दबदबे को लेकर खींचतान पुरानी है। इसी खींचतान की वजह से ही उमेश अग्रवाल से देहरादून महानगर का पद झीन लिया गया था। इन चुनावों में उमेश के साथ वाला वैश्य समाज का धड़ा बीजेपी से दूरी बना कर रख सकता है। निकाय चुनावों में ये धड़ा भले ही बीजेपी के विरोध में वोट न करे लेकिन बीजेपी के पक्ष में वोट न करके भी अपनी नाराजगी जता सकता है। अगर ऐसा होता है तो बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।