उत्तरा पंत बहुगुणा प्रकरण में पूरे राज्य की जनता की नाराजगी के साथ साथ सूबे के मुखिया त्रिवेंद्र सिंह रावत को मीडिया की भी जबरदस्त नाराजगी का सामना करना पड़ा। सीएम की छवि को इससे खासा नुकसान हुआ है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता। पूरे राज्य में सीएम को लोगों की तल्ख नाराजगी और विरोध का सामना करना पड़ा। ऐसे में ये सवाल बड़ा है कि ऐसा हुआ क्यों। दरअसल ये डेढ़ साल का गुबार था जो निकल पड़ा। आइए समझते हैं कि त्रिवेंद्र रावत पर हुए इन हमलों की वजह क्या रही।
- 18 महीनों की संवादहीनता –
त्रिवेंद्र रावत मुख्यमंत्री बनने के बाद बेहद रिजर्व हो गए हैं। मीडिया से या कहिए कि जनता से खुलकर मिलने से परहेज करते हैं। हालांकि सीएम बनने के पहले उनसे आम लोगों का और मीडिया का मिलना खासा आसान हुआ करता था लेकिन अब ऐसा नहीं है। 18 महीनों के कार्यकाल में मुख्यमंत्री ने 18 साक्षात्कार भी नहीं दिए होंगे जिनसे उनकी लोकप्रिय छवि बन पाती।
- क्षेत्रीय मीडिया से दोएम दर्जे का व्यवहार –
त्रिवेंद्र रावत के मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य की जनता में गहरी पैठ रखने वाली क्षेत्रीय मीडिया को दोएम दर्जे की मीडिया के तौर पर देखा जाने लगा। हालात ये हुए कि जनकल्याण के लिए चलने वाली योजनाओं के विज्ञापनों के मामले में भी क्षेत्रीय मीडिया को पीछे कर दिया गया। इसके दो बड़े नुकसान हुए। पहला तो राज्य की जनता को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाया। दूसरा क्षेत्रीय मीडिया के पर मंदी का खतरा मंडराने लगा। हालात ये हुए कि बड़े पैमाने पर स्थानीय मीडिया कर्मियों की छंटनी हुई और लोगों को परिवार चलाना मुश्किल हो गया। बेरोजगारी ने समाज और मीडिया में त्रिवेंद्र सरकार के खिलाफ गुस्से का गुबार भर दिया।
- लॉबिंग ने बिगाड़ी बात-
त्रिवेंद्र रावत शपथ ग्रहण के बाद से ही लॉबिंग के शिकार हो गए। राजनीति से लेकर मीडिया तक में लॉबिंग सीएम रावत को ले डूबने की तरफ तेजी से बढ़ रही है। ब्राह्मणों की नाराजगी त्रिवेंद्र रावत को उत्तरा पंत बहुगुणा प्रकरण के मुहाने तक ले आई।
- संगठन और सरकार की खामोश रार –
ऊपर से देखने में भले इस बात का अंदाज न लगे लेकिन सच यही है कि संगठन और सरकार में अंदुरूनी तौर पर तलवारें खिंची हुईं हैं। कुछ दिनों पहले विधायकों का सीएम से मिलना इसी की बानगी थी। फिर ब्राह्मण और ठाकुर लॉबी की समस्या संगठन और सरकार में भी है। मीडिया को भी इस रोग ने घेर रखा है। इसकी बहुत हद तक वजह खुद सीएम रावत हैं।
- मूक बधिर सूचना विभाग –
टीएसआर सरकार के बनने के बाद सरकार के इस बेहद महत्वपूर्ण विभाग पर ‘ऊपरी शक्तियों’ का कब्जा हो गया। जब तक ऊपर से आदेश नहीं आता तब तक विभाग के अधिकारी चूं नहीं कर पाते। विभाग के आला अफसर की हैसियत भी टीएसआर सरकार में बाबू की होकर रह गई है। न मीडिया से समन्वय हो पाया रहा है और न जनता से सुलझा संवाद। क्योंकि इन दोनों की जिम्मेदारी इसी विभाग पर है और ये विभाग अब ‘ऊपरी आदेश’ का इंतजार करता है।
- उत्तरा पंत का फर्जी वीडियो प्रकरण –
मेन स्ट्रीम रीजनल मीडिया और जनता की सीएम रावत से हालिया नाराजगी की एक बड़ी वजह महिला शिक्षिका का फर्जी वीडियो वॉयरल कराने की कोशिश भी रही। सूत्रों की मानें तो उत्तरा पंत के सीएम से माफी मांगने वाले वीडियो को बेहद शातिराना तरीके से एडिट किया गया। दो अलग अलग वाक्यों को कांट छांट कर ऐसा दिखाया गया मानों उत्तरा सीएम से माफी मांग रहीं हों। लेकिन एडिट करने वाला नौसिखिया निकला और उसकी कमियां जनता और मीडिया ने पकड़ ली।