गंगा के साथ पूरे भारत की आस्था जुड़ी हुई है। गंगा के जल को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है। इसके साथ ही गंगा को गंगा मैय्या का दर्जा दिया गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गंगोत्री को इतना पवित्र क्यों माना जाता है ?
गंगोत्री धाम का किसने करवाया था निर्माण ?
गंगोत्री धाम समुद्र तल से 3042 मीटर की ऊँचाई पर बसा हुआ है। कहा जाता है की गांगा मैया के मंदिर का निर्माण गोरखा कमांडर अमर सिंह थापा ने 18 वीं शताब्दी में करवाया था। गंगोत्री धाम उत्तराखंड के चार धामों में से दूसरा धाम है। ये उत्तरकाशी की सुंदर वादियों के बीच बसा हुआ है। हरी-भरी वादियां, चहचहाती चिड़ियाएं, कल-कल कर बहती मां गंगा इस धाम की सुंदरता में चार चांद लगा देती हैं।
ब्रह्मा के कमंडल से कैसे धरती में आई भागीरथी
पौराणिक कथाओं के मुताबिक भगवान राम के पूर्वज रघुकुल के राजा भगीरथ ने मां गंगा को धरती पे लाने के लिए इसी जगह एक शिलाखंड पे बैठकर भगवान शिव कि घोर तपस्या की थी। भगवान शिव भागीरथ के तप से खूब प्रसन्न हुए और उन्होंने गंगा को ब्रह्मा जी के कमंडल से अपने सर पे धारण कर लिया।
जिसके बाद शिव जी ने एक जटा खोलकर भगवान शिव ने गंगा को हिमालय की गोद में भेजा। मां गंगा ने धरती को पहली बार गंगोत्री धाम में ही स्पर्श किया। माना जाता है कि पांडवों ने महाभारत युद्ध में मारे गए। अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए गंगोत्री धाम में देव यज्ञ करवाया था।
गंगोत्री धाम के 19 किलोमीटर की दूरी पर है गौमुख
गंगोत्री धाम उत्कर्ष्ठ सफ़ेद ग्रेनाइट की चमकदार पठारों से निर्मित है। यहां एक शिवलिंग भी है जो जलमग्न है।
गंगोत्री धाम के 19 किलोमीटर की दूरी पर गौमुख स्थित है। गौमुख वही जगह है जहां से भागीरथी नदी निकलती है। मान्यता है की जो कोई भी यहां के बर्फीले पानी में स्नान करता है उसके सारे पाप धुल जाते हैं।
भारतीय हिंदुओं के लिए गंगोत्री धाम बहुत विशेष महत्व रखता है यह सनातन संस्कृति के मानने वाले लोगों के लिए तीर्थ क्षेत्र माना जाता है। कहा जाता है कि अपने पूर्ण आयु काल में एक बार इन तीर्थ स्थलों पर पर तीर्थ जरूर करना चाहिएl गंगोत्री मंदिर के पास एकत्रित गंगा जी के जल को अमृत के तुल्य माना जाता है और इससे सभी श्रद्धालु अपने घरों में लेकर जाते हैंl