गदरपुर- विकास की योजना के कुछ सरकारी कायदे कानून होते हैं। योजना को जमी पर अमलीजामा पहनाने से पहले सरकारी पगार लेने वाले कारिंदों से उम्मीद जताई जाती है कि वे मानकों पर गौर करेंगे और उसी के मुताबिक योजना को अंजाम तक पहुंचाएगे। लेकिन उत्तराखंड में सरकारी महकमों के अजीब हालात हैं। जब काम बिगड़ जाता है तब नाम याद आता है।
जी हां प्रधानमंत्री आवास योजना को लेकिर उधमसिंहनगर की देनेशपुर नगर पंचायत में बवाल हो गया। सरकारी मुलाजिमों ने पहले योजना के तहत आए जरूरतमंदों को मकान की नीव खोदने के लिए पैसे आवंटित किए। लेकिन जैसे ही मानको को ताक पर रखने का सवाल उठा तो नौकरी बचाने की जद्दोजहद में मकानो को रोक दिया।
नतीजतन इलाके में इतना बवाल हुआ कि दिनेशपुर के वार्ड नंबर तीन के लोगों ने जहां नगर पंचायत दफ्तर में तालाबंदी की वहीं अधिशांसी अधिकारी के खिलाफ नारे लगाए और एक लिपिक की धुनाई कर दी।
दरअसल प्रधानमंत्री आवास योजना के तय मानकों के मुताबिक नदी के किनारे 200 मीटर के दायरे में आबाद बस्ती को आवास योजना में शामिल नहीं किया जाएगा। जबकि दिनेशपुर का वार्ड नंबर तीन नदी किनारे ही आबाद है।
बावजूद इसके दिनेशपुर नगर पंचायत के सरकारी कारिंदों ने बिना मुआयना किए ही नदी किनारे आबाद आबादी के जरूरतमंदो को मकान बनाने के लिए चुन लिया और उनके खाते में 20 हजार रुपए नीव खुदवाने के लिए डलवा भी दिए।
अब दोनो पक्षों ने एक दूसरे के खिलाफ तहरीर दी है यानि मामला डाक्टर, पुलिस से लेकर वकील, अदालत तक चला गया है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर सरकारी कर्मचारी इतने निठ्ठले क्यों हो जाते हैं कि योजना के मानकों को भी नहीं निगाह भरकर पढने की जहमत नहीं उठाते।