लालकुआं : आइटीबीपी की हल्दूचौड़ स्थित 34वीं वाहिनी में 16 अगस्त को भर्ती के दौरान सूरज हत्याकांड का पुलिस ने खुलासा करते हुए तीन जवानों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। आरोपित जवान उप्र, हरियाणा व राजस्थान के रहने वाले हैं। अब सवाल पुलिस की कार्यप्रणाली पर खड़े हो रहे है जो पुलिस छोटे-मोटे खुलासे के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है आखिर इतने बड़े मामले के लिए क्यों नहीं की?
आइटीबीपी की भर्ती बोर्ड के 18 जवानों को पूछताछ के लिए बुलाया था
नानकमत्ता निवासी सूरज सक्सेना हत्याकांड में रविवार को पुलिस ने बहुद्देश्यीय भवन हल्द्वानी में आइटीबीपी की भर्ती बोर्ड के 18 जवानों को पूछताछ के लिए बुलाया था। इस दौरान भर्ती में सूरज के साथ आए उसके दोस्तों की शिनाख्त पर हरियाणा के महेंद्रगढ़ निवासी सुरेंद्र कुमार पुत्र शेर सिंह, राजस्थान के जिला सीकर निवासी संतोष यादव पुत्र राम सिंह यादव व उप्र के बुलंदशहर निवासी चंदे्रश्वर पुत्र ओमप्रकाश को हत्या व साक्ष्य छिपाने के आरोप में हिरासत में ले लिया गया। इनमें दो कांस्टेबल व एक हेड कांस्टेबल है। तीनों आरोपितों को सोमवार को नैनीताल कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया है।
जब दी आत्मदाह की चेतावनी तब पुलिस ने किया जवानों को गिरफ्तार
बता दें कि सूरज के परिजनों और दोस्तों द्वारा बीते दिन आत्मदाह की चेतावनी दी गई थी जिसके बाद पुलिस हरकत में आई और नानकमत्ता के विधायक ने तीन जवानों के गिरफ्तार होने की सूचना दी जिसके बाद परिजन शांत हुए लेकिन परिजन की अब भी मांग है कि आखिर उनके सूरज की हत्या क्यों औऱ कैसे की गई उसकी पूरी जानकारी दी जाए तभी वो धरना समाप्त करेंगे.
सवाल पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठता है
वहीं अब बड़ा सवाल पुलिस की कार्यप्रणाली पर उठ रहा है कि आखिर क्या पुलिस पहले से ही सब जानती थी? क्या आईटीबीपी ने पुलिस से पहले ही सेटिंग कर ली थी कि बदनाम न हो इससे पहले ये सब कहानी रची जाए. जुर्म कोई भी करे वो अपराधी माना जाएगा चाहे वो फिर खुद एक पुलिसवाला ही क्यों न हो.
आखिर पुलिस अब भी क्या छुपा रही है
अक्सर देखा जाता है कि पुलिस छोटी-छोटी घटनाओं का खुलासा करने पर पत्रकार वार्ता आय़ोजित करती है लेकिन ये मामला कोई छोटा नहीं बल्कि प्रदेश से लेकर देशभर के लोग सूरज सक्सेना मौत मामले से परिचित हैं ऐसे में इसके खुलासे को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की गई. आखिर पुलिस अभी भी क्या छुपा रही है. बहुचर्चित सूरज हत्याकांड का खुलासा करने पर पत्रकारों को सूचना देने तक की जहमत तक नहीं उठाई। आरोपितों के नैनीताल कोर्ट पहुंचने के बाद सोशल मीडिया में प्रेस रिलीज जारी कर पुलिस ने अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली। यही नहीं पुलिस आरोपितों के नाम व पते बताने से भी बच रही है। पुलिस का कहना है मामला सेना से जुड़ा है इसलिए नाम पते उजागर करने की अनुमति नहीं है।
सोमवार को ग्रामीणों ने घटनास्थल के पास मृतक सूरज के जूते बरामद किए है। हैरत की बात यह है कि पुलिस व परिजन उस स्थान पर कई बार चेकिंग अभियान चला चुकी है, लेकिन जूते नहीं मिले। ऐसे में परिजनों ने आरोप लगाया है कि अपने को फंसता देख आइटीबीपी के जवानों ने रविवार रात्रि को जूतों को ऐसे स्थान पर फेंक दिया है जहां पर आसानी से नजर पड़ सके।