देहरादून- सूबे के शिक्षा मंत्री अरविंद पांडे निजी स्कूलों की मनमानी पर लगाम लगाना चाहते हैं। जबकि प्राइवेट स्कूलों का संगठन आजादी। शिक्षामंत्री अभिभावकों की लूट पर लगाम चाहते हैं और निजी स्कूलों का संगठन तर्क देकर छूट चाहता है।
किताबें,ड्रेस स्कूल या स्कूल के साथ तालमेल बिठा चुका बुकसेलर के यहां से खरीदने का निजी स्कूलों का नियम न तो नई सरकार को रास आ रहा है और न अभिभावकों। वहीं हर साल अनाप-शनाप मदों में फीस बढ़ोत्तरी ने अभिभावकों की जेब पर डाका डाला हुआ है। जिसके खिलाफ आए दिन अभिभावक सड़क पर उतरे रहते हैं।
बहरहाल राज्य के शिक्षा मंत्री ने अगले सत्र से NCERT की किताबों को जरूरी करने के फरमान सुनाने के बाद नया बयान दिया है कि, बिना बुक बैंक वाले स्कूलों की मान्यता रद्द होगी। बताया जा रहा है कि सरकार एक नया कानून लाकर निजी स्कूलों की मनमानी पर बंदिश लगाना चाहती है जबकि निजी स्कूलों का एक संगठन प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन सरकार की इस मंशा का विरोध कर रहा है।
निजी स्कूलों की धमकी है कि अगर सरकार ने नियम थोपे तो वे आंदोलन करेंगे और स्कूलों को कुछ समय के लिए बंद भी कर देंगे। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि निजी स्कूल अपनी धमकी से किसे डरा रहे हैं, उस जनता को जिसके बच्चे उनके स्कूल में तालीम लेते हैं या उस नई सरकार को जिसने राज्य की सत्ता प्रचंड बहुमत हासिल कर पाई है। बहरहाल दिलचस्प सवाल ये है इस जंग में कौन जीतेगा, राज्य सरकार या निजी स्कूल।
क्या कहना है मंत्री जी का –
“कई निजी स्कूल बेहतर काम कर रहे हैं लेकिन उत्पीड़न किसी से छिपा नहीं है। एनसीआरटी की किताबों का फैसला अभिभावकों के हित मे लिया गया है। निजी स्कूलों की जो भी वाजिब बातें होंगी वे मानी जाएंगी, पर मनमानी की छूट किसी को नहीं दी जाएगी।”
क्या कहा पीपीएसए ने-
“अभिभावकों का उत्पीड़न करने वाले स्कूलों पर सख्ती होनी चाहिए। पर सरकार ऐसे नियम न लादे कि निजी स्कूल चलाना ही मुश्किल हो जाए। यदि सरकार ने जबरन हम पर नए नियम थोपे तो आंदोलन किया जाएगा। ” – प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, पीपीएसए