उत्तराखंड में आपको यूं तो कई जातियां मिलेंगी। लेकिन इन जातियों में से एक जाति है बिष्ट। राजपूतों की शान, अपनी धरती के लिए अपनी जान न्यौछावर करने वाले, अपने मान सम्मान के लिए प्राणों की आहुति तक देने वाले इन राजपूतों की कहानी भी शौर्य से भरी है। कई इतिहासकार कहते हैं कि बिष्ट एक उपनाम रूपी शब्द है। इस उपनाम की उत्पत्ति का आधार अभी तक अज्ञात है। इसके बाद भी कहा जाता है कि हजारों साल पहले हिमालयी क्षेत्र कुछ खण्डों जैसे कुर्मान्चल यानी कुमांऊॅं, केदारखण्ड यानी गढ़वाल और जालन्धर यानी हिमाचल प्रदेश में इस उपनाम रूपी शब्द का इस्तेमाल किया जाता था। ठाकुर, क्षत्रिय यानि राजपूत लोग अपने नाम के साथ इसे लगाते हैं। कुछ इतिहास कार बताते हैं कि बिष्ट शब्द विष्ट से बना है यानी विशिष्ट लोग। अब उत्तराखंड की बात करें तो इतिहास गवाह है कि बिष्ट राजपूतों ने हमेशा शौर्य का परिचय दिया है।
के 52 गढ़ों में से तीन गढ़ो पर बिष्ट राजपूतों का था अधिकार
गढ़वाल के 52 गढ़ों में से तीन गढ़ ऐसे हैं, जिन पर बिष्ट राजपूतों का अधिपत्य था। गढ़वाल के कोल्ली गढ़ में बछवाण बिष्ट जाति के लोगों का साम्राज्य था। इसके अलावा गढ़वाल के ही गढ़कोट गढ़ को भी बिष्ट राजपूतो का गढ़ कहा जाता है। गढ़कोट गढ़ मल्ला ढांगू में स्थित है। ये गढ़ बगड़वाल बिष्ट जाति का था। नेगी की तरह बिष्ट जाति के भी अलग अलग स्थानों के कारण भिन्न रूप हैं। इसके अलावा गढ़वाल का एक और गढ़ है संगेलागढ़। कहा जाता है कि यहां संगेला बिष्ट जाति का राज था।
ये गढ़ नैल चामी में स्थित था। इसी तरह से कुमाऊं की तरफ बढ़ जाते हैं। गढ़वाल के मुकाबले कुमाऊं में आपको बिष्ट ज्यादा मिलेंगे। इतिहासकार बताते हैं कि यहां ठाकुर, क्षत्रिय यानि राजपूत लोग अपने नाम के साथ इस उपनाम को लगाते थे। ये क्षत्रिय शस्त्र कला में निपुण होते थे।
कुमांऊ-गढ़वाल में कई तरह के बिष्ट
कालान्तर में अलग अलग राजपूत वंशावलियों ने बिष्ट नाम के उपनाम को अपने साथ जोड़ दिया। जो अभी तक जारी है। अब कई प्रकार के बिष्ट आपको कुमाऊं में मिलेंगे। इनमें हीत बिष्ट, स्यौंतरी बिष्ट, कनौंणियां बिष्ट, बौरा बिष्ट, माहरा बिष्ट, जलाल बिष्ट प्रमुख हैं।
चित्तौड़गढ़ से बिष्ट राजपूत आए थे अल्मोड़ा
कुछ इतिहासकार कहते हैं कि राजस्थान के चित्तौड़गढ़ से बिष्ट राजपूत अल्मोड़ा आए थे। अपने साहस और शौर्य के दम पर उन्होंने कई गढ़ों पर अपना राज किया था। गढ़वाल में भी बिष्ट एक उपनाम के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिसे राजपूत लोग अपने नाम के बाद लगाते हैं। इनमें रमौला बिष्ट और भुलांणी बिष्ट प्रमुख हैं। खास बात ये भी है कि आपको हिमाचल में भी बिष्ट मिलेंगे। आज आप देख सकते हैं कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ भी बिष्ट जाति से ही है। योगी का पूरा नाम अजय सिंह बिष्ट ही है।
बिष्ट व विष्ट एक उपनाम रूपी शब्द है। इस उपनाम की उत्पत्ति का आधार अभी तक अज्ञात ही है। यह शब्द नाम के पश्चात लगाया जाता है। हजारों वर्ष पूर्व हिमालयी क्षेत्र कुछ खण्डों नेपाल, कुर्मान्चल (कुमांऊॅं), केदारखण्ड (गढ़वाल), जालन्धर (हिमाचल प्रदेश), और सुरम्य कश्मीर में विभाजित था। इन्हीं क्षेत्रों में इस उपनाम रूपी शब्द का प्रयोग पाया जाता है। जो अधिकॉशत: ठाकुर, क्षत्रिय यानि राजपूत लोग अपने नाम के साथ लगाते हैं।
नेपाल के बिष्ट
बिष्ट व विष्ट नेपाली क्षत्रिय समुह क्षेत्री जाति के एक पारिवारिक नाम है। ये ऐतिहासिक पाँच काजी परिवारोंमे से एक है। अन्य चार परिवार थापा, बस्नेत, कुँवर और पाण्डे है। विष्ट पारिवारिक नाम नेपाली भाषामें विशिष्ट शब्दका अप्रभंशसे उत्पत्ति हुआ है।
कुमांऊॅं के बिष्ट
अधिकांशत: ठाकुर, क्षत्रिय यानि राजपूत लोग अपने नाम के साथ लगाते हैं। कालान्तर में विभिन्न राजपूत वंशावलियों ने बिष्ट नामक उपनाम को अपने उपनाम के साथ जोड़ दिया। जो अभी तक जारी है। अब कई प्रकार के बिष्ट पाये जाते हैं।हीत बिष्ट, स्यौंतरी बिष्ट, कनौंणियॉं बिष्ट, बौरा बिष्ट, माहरा बिष्ट (चौहान मैनपुरी से कुमाऊँ आये है ), जलाल बिष्ट (परमार )हो सकते है । वैसे इनका चितौड़गढ़ से अलमोड़ा आना हुआ कुमाऊ में ।
गढ़वाल के बिष्ट
गढ़वाल में भी बिष्ट एक उपनाम के रूप में प्रयोग किया जाता है। जिसे प्राय: राजपूत लोग अपने नाम के बाद लगाते हैं। रमौला बिष्ट, भुलांणी बिष्टहिमांचल के बिष्ट अधिकांशत: ठाकुर, क्षत्रिय यानि राजपूत लोग अपने नाम के साथ लगाते हैं।
योगी आदित्यनाथ
योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट जिनका जन्म 5 जून 1972 को उत्तराखण्ड के पौड़ी गढ़वाल जिले स्थित यमकेश्वर तहसील के पंचुर गाँव के एक गढ़वाली राजपूत परिवार में योगी आदित्यनाथ का जन्म हुआ। इनके पिता का नाम आनन्द सिंह बिष्ट है जो एक फॉरेस्ट रेंजर थे, तथा इनकी मां का नाम सावित्री देवी है। अपनी माता-पिता के सात बच्चों में तीन बड़ी बहनों व एक बड़े भाई के बाद ये पांचवें थे एवं इनसे और दो छोटे भाई हैं
योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के प्रसिद्ध गोरखनाथ मन्दिर के महन्ततथा राजनेता हैं एवं में उत्तर प्रदेश के मुख्यमन्त्री हैं। इन्होंने 19 मार्च 2017 को प्रदेश के विधान सभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की बड़ी जीत के बाद यहाँ के 21वें मुख्यमन्त्री पद की शपथ ली।