संवाददाता- क्या हम आपातकाल की ओर जा रहे हैं या फिर लकड़ी की चाबी और लोहे के ताले वाले सवाल से नाराज है सरकार ? ये सवाल इसलिए उठ रहा है कि हो सकता है कि,आने वाली 9 नवंबर को आपको अपने टीवी पर NDTV इंडिया देखने को न मिले। दरअसल सूचना प्रसारण मंत्रालय की अंतर मंत्रालयी समिति ने एक दिन के लिए NDTV इंडिया को ऑफ एयर करने की सिफारिश की है। इसके पीछे दलील दी जा रही है कि NDTV इंडिया ने पठानकोट हमले की गैरजिम्मेदाराना तरीके से रिपोर्टिंग की। हालांकि इस सिफारिश के खिलाफ देश भर में सोशल मीडिया और सामान्य मीडिया में कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की जा रही हैं। कहा जा रहा है कि अगर किसी खबर पर आपत्ति थी तो समिति को चैनल की खबर के खिलाफ नियामक संस्था NBSC से शिकायत करनी चाहिए थी न कि खुद ही थानेदार बनना चाहिए था। हालांकि आम जनता में चर्चा ये भी चल रही है कि NDTV इंडिया के खिलाफ ये सिफारिश पठानकोट हमले को लेकर नहीं बल्कि भोपाल सेंटर जेल एनकाउंटर को लेकर NDTV इंडिया के उठाए गए सवालों पर झुंझलाई सरकारी प्रतिक्रिया है। वरिष्ठ पत्रकार विनोद कापड़ी ने तो इस सरकारी सिफारिश पर विरोध जातते हुए मीडिया से निवेदन भी किया है कि इसके खिलाफ आवाज उठांए, क्योंकि अगर आज इनको गूंगा बनाने की कोशिश की जा रही है तो कल आपको भी बेजुबां किया जा सकता है। वहीं कापड़ी ने इस कदम को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताते हुए कहा कि ये मजबूत और विश्वास भरी सरकार की निशानी नहीं हो सकती । ऐसे कदमों से केंद्र सरकार की छवि पर असर पड़ेगा। बहरहाल देखना ये है कि चैनल पर एक दिवसीय बैन की सिफारिश पर अमल होता है या नहीं। सनद रहे कि गुजरे दौर में आपातकाल के दौरान भी अभिव्यक्ति की आजादी को छीनने की सरकारी कोशिश हुई थी। जिसका नतीजा ये हुआ कि अगले चुनाव में इंदिरा इज इंडिया होकर भी दुर्गा मानी जाने वाली इंदिरा गांधी की पार्टी आम चुनाव हार गई। यहां तक कि खुद इंदिरा गांधी को भी चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा था।