रुड़की- जहां नाक हैं वहां सोना नही जहां सोना है वहां नाक नहीं। ये कहावत भगवानपुर डांडापट्टी गांव पर सटीक बैठती है। यहां सरकार नें लाखों रूपए खर्च कर एक पक्का आंगनबाड़ी केंद्र बनाया। लेकिंन केंद्र की हालत ऐसी है कि केंद्र की संचालिका को उस भवन में केंद्र संचालन करना गवारा नहीं है। ढाई साल से बच्चों और आंगनबाड़ी संचालिका की बाट जोहता आंगनबाड़ी केंद्र का पक्का भवन अब बदहाली की कगार पर पहुंच गया है।
हालांकि ग्रामीण और ग्राम प्रधान कई बार भवन की हो रही दुर्दशा के बारे में बाल विकास महकमें के अधिकारिओ से शिकायत कर चुके हैं पर उन पर इस बात का कोई असर नहीं पड रहा लाखो रुपयों की लागत से बने आंगन बाड़ी केंद्र के आंगन में अब बच्चों के बजाय झाड़ियां खेल रही हैं। जबकि महकमे के अधिकारियों का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में नहीं है। हालांकि वह अब जल्द ही लाखों की लागत से बने आंगनबाड़ी केंद्र में चलवा देंगी ।
बताया जा रहा है कि आगनबाड़ी केंद्र की संचालिका अपने घर में ही केंद्र को चलाती है। सरकारी भवन गांव से दूर है और आंगनबाड़ी की सुपरवाइजर को भी वहां आने मे परेशानी होती है। ऐसे में सवाल उठता है कि जब केंद्र ने संचालिका के घर से ही संचालित होना था तो भवन बनाने में लाखों रूपए क्यों फूंके गए। गजब का आलम है कई गांव ऐसे हैं जहां आंगनबाड़ी चलाने के लिए संचालिका के पास जगह तक नही है और भगवानपर के डांडापट्टी का हाल ये है कि यहां लाखों की लागत का बना आंगनबाड़ी केंद्र नजरेंइनायत के आभाव में बर्बाद हो रहा है।