देश में 2024 यानि आने वाले साल में लोकसभा चुनाव होने है लेकिन उससे पहले इन दिनों UCC यानि समान नागरिक संहिता देशभर में चर्चा का विषय़ बना हुआ है। पीएम मोदी ने तो यह तक कह दिया है कि UCC देश के लिए काफी जरूरी है। अब कितना जरूरी है और अगर ये लागू होता है तो इससे कितना फायदा होगा इस पर अभी पर्दा है, लेकिन इसे लेकर राजनीतिक गलियारों का बाजार गर्म है। पीएम मोदी और भाजपा के नेता जहां इसे देश के लिए हितकारी बता रहे हैं तो वहीं विपक्ष के नेताओं ने इसे लागू करने पर विरोध जताया है। आइये जानते हैं क्या है UCC और इसले लागू करने से सभी धर्मों पर कितना असर पड़ेगा।
क्या है UCC
UCC यानि यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है, भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए एक समान कानून होना, चाहे वह किसी भी धर्म या जाति का क्यों न हो। यानी हर धर्म, जाति, लिंग के लिए एक जैसा कानून। अगर सिविल कोड लागू होता है तो विवाह, तलाक, बच्चा गोद लेना और संपत्ति के बंटवारे जैसे विषयों में सभी नागरिकों के लिए एक जैसे नियम होंगे।
यूसीसी लागू होने पर होंगे ये बदलाव
यदि यूसीसी लागू होता है तो शादी की न्यूनमत उम्र, तलाक़ से जुड़ी प्रक्रिया, गोद लेने का अधिकार, गुजारा भत्ता, बहुपत्नी अथवा बहुपति प्रथा, विरासत, उत्तराधिकार व परिवार नियोजन आदि पर यह केंद्रीत होगा। समान नागरिक संहिता में इन मुद्दों को लेकर सभी धर्मों के लोगों पर एक समान कानून लागू होगा। दूसरे शब्दों में यूसीसी लागू होने पर अलग-अलग धर्मों के पहले से लागू पर्सनल लॉ समाप्त हो जाएंगे। जैसे कि हिंदू विवाह अधिनियम, हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम, भारतीय ईसाई विवाह अधिनियम, भारतीय तलाक़ अधिनियम, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम आदि।
गोवा में 1867 से लागू है UCC
यदि हम भारत के ही एक राज्य गोवा की बात करें तो वहां यूसीसी लागू है। वहां रहने वाले किसी भी व्यक्ति को यूसीसी लागू होने से आज तक कोई दिक्कत नहीं हुई है। गोवा में यह कानून पुर्तगाली शासकों के जमाने से 1867 से लागू है।
मानसून सत्र में हो सकता है पेश
पीएम मोदी ने भी हाल ही में कहा था कि एक देश में एक जैसा कानून होना चाहिए उन्होनें उदाहरण देते हुए कहा कि एक परिवार में दो सदस्यों के लिए अलग अलग नियम नहीं हो सकते । उनके इस संबोधन से ये माना जा रहा है कि 20 जुलाई से मानसून सत्र शुरू हो रहा है जिसमें यूसीसी पेश हो सकता है।