देश में तमाम बस, ट्रक और ऑटो ड्राइवर हड़ताल पर चले गए हैं। देश में कई बस अड्डों पर बसों पर ब्रेक लग गया है। ड्राइवर निराश है और चक्काजाम कर रहे हैं। इस निराशा और हड़ताल का कारण है देश में लागू हुआ Hit and RUN New Law जिसके आते ही सभी ड्राइवरों ने केंद्र सरकार से इसे वापस लेने की मांग की है। आइये जानते हैं क्या है HIT AND RUN New Law ?
Hit And Run new law kya hai
दरअसल, इस नए कानून में अगर कोई आरोपी ड्राइवर सड़क हादसे के बाद अधिकारियों को बिना सूचना दिए बिना दुर्घटना स्थल से भाग जाता है तो उसे 10 साल की जेल की सजा काटनी पड़ेगी। साथ ही साथ जुर्माना भी भुगतना पड़ेगा।इस नए कानून को दो श्रेणियों में रखा गया है
पहला- ‘लापरवाही से मौत का कारण’
अगर कोई आरोपी ड्राइवर मौत का कारण बनता है तो वह गैर इरादतन हत्या नहीं है। उसे अधिकतम पांच साल की जेल की सजा के साथ-साथ जुर्माना भी भरना पड़ सकता है।
दूसरा-गाड़ी से टक्कर मार मौके से भागना
अगर कोई ड्राइवर लापरवाही या असावधानी से गाड़ी चलाकर किसी की मौत का कारण बनता है और भाग जाता है. साथ ही घटना के बाद किसी पुलिस अधिकारी या मजिस्ट्रेट को घटना की रिपोर्ट नहीं करता है, तो उसे जुर्माना के साथ-साथ दस साल तक की जेल का सामना करना पड़ेगा।
अभी तक क्या था Old Hit and Run Law
बता दें कि अभी तक हिट एंड रन मामले में आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), 304A ( लापरवाही के कारण मौत) और 338( जान जोखिम में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता है। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है। खास मामलों में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ी जाती है। पहचान के बाद हिट-एंड रन मामलों के आरोपियों पर धारा 304 ए के तहत मुकदमा चलाया जाता है, जिसमें अधिकतम दो साल की जेल की सजा होती है।
इन राज्यों में हो रहा विरोध ज्यादा
देश मे लागू हुआ हिट एंड रन का यह नया कानून भारतीय न्याय संहिता का हिस्सा है। लेकिन इस कानून से ड्राइवरों के होश उड़ गए हैं। कानून के विरोध में देश के कई राज्यों में ड्राइवरों ने चक्काजाम करना शुरु कर दिया है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, मध्य प्रदेश, गुजरात सहित देशभर के ज्यादातर राज्यों के ट्रक और बस ड्राइवर नए कानून के विरोध में सड़क पर उतर आए हैं।
क्या है ड्राइवरों की मांग?
ड्राइवरों की मांग है कि जब तक सरकार हिट एंड रन पर नए कानून को वापस नहीं लेती तब तक बस और ट्रक नहीं चलाएंगे। तमाम राज्यों में चालकों ने बस और ट्रक चलाने से इंकार कर दिया है। नए कानून में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। एआईएमटीसी का कहना है कि कानून में संसोधन से पहले स्टेक होल्डर्स से सुझाव नहीं लिए गए, प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। देशभर में पहले से ही 25-30 प्रतिशत ड्राइवरों की कमी है और ये कानून से ड्राइवरों की कमी और भी बढ़ेगी। उन्होनें कहा कि ड्राइवरों की परेशानी की तरफ सरकार का ध्यन नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान रोड ट्रांसपोटर्स और ड्राइवरों का है।
सरकार की क्या है मंशा?
हालांकि सरकार ने ये सख्ताई सिर्फ सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए लागू की है, लेकिन इसके उलट ड्राइवरों को लगता है कि यह उनके साथ ज्यादती हो रही है और वो आखिर इतनी बड़ी रकम कैसे चुकाएंगे।