देहरादून( पं.चंद्रबल्लभ फोंदणी)- उत्तराखंड की महिला बाल विकास एवं पशुधन मंत्री रेखा आर्य ने बड़े संदेश के लिए इतना बड़ा कदम उठाया है कि उत्तराखंड पुलिस के माथे पर शिकन की लकीरें खिंच गई हैं। हरिद्वार से लेकर देहरादून की पुलिस को समझ में नहीं आ रहा है कि 17 सितंबर को देहरादून से लेकर हरिद्वार तक का ट्रैफिक कैसे कंट्रोल होगा।
देखा गया है कि जब खास लोग आम आदमी की सड़कों पर अपने सरकारी एसी वाले वाहन से पूरी ठसक के साथ निकलते हैं तभी आम आदमी की फजीहत हो जाती है। 17 सितंबर को तो खास लोग साइकिल से देहरादून- हरिद्वार मार्ग पर कछुवा चाल से हांफते हुए पैडल मारकर निकलेंगे। ऐसे में खास लोगों की जमात के साथ आम आदमी के ठसा-ठस भरे वाहनों से कुछ ऊंच नीच हो गई तो पुलिस की साख पर बट्टा लगाने से कोई नहीं हिचकेगा।
दरअसल राज्य मंत्री रेखा आर्य ‘बेटी बचाओ बेटी पढाओं’ जैसा बड़ा संदेश देना चाहती हैं। इस संदेश को आम आदमी के बीच पहुंचाने के लिए मंत्री जी ने साइकिल यात्रा करने की ठानी है, वो भी 55 किलो मीटर की लंबी यात्रा। मंत्री जी की यात्रा देहरादून के परेड ग्राउंड से निकलेगी और हर की पैड़ी में पहुंचेगी। पुलिस के लिए सबसे दिक्कत की बात ये है कि मंत्री महोदया ने सूबे के सभी मंत्रियों को साइकिल यात्रा में शिरकत करने का न्यौता भेजा है। यानि 17 तारीख को रेखा आर्य को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। हालाकि रेखाआर्य को उम्मीद है कि सीएम भी उनकी हौसला आफजाई करते हुए कुछ दूर तक साइकिल चालाएंगे।
तय है कि पीएम मोदी को समर्पित रेखा आर्य की साइकिल यात्रा में आलाकमान के सामने अपने नंबर बढ़ाने के चलते अगर सूबे के कई मंत्रियों ने उनके साथ साइकिल पर पैडल मारे तो संडे होने के चलते पुलिस को सुरक्षा देने में पसीना तो छूटेगा ही आम आदमी को भी मंत्री जी का संदेश फजीहत के चलते याद हो जाएगा। जाहिर सी बात है कि पुलिस कई जगह ट्रैफिक में बदलाव करेगी जिससे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तमाल करने मुसाफिरों को भारी तकलीफ का सामना करना पडे़ेगा। संडे के दिन सड़कों पर सैलानियों का भारी दबाव रहेगा ऐसे मे बेचारी मित्र पुलिस और आम जनता पर क्या गुजरेगी मंत्री जी नहीं समझ पाएंगी, क्योंकि मंत्री जी कह चुकी हैं ट्रैफिक कंट्रोल पुलिस का काम है।
काश! कितना अच्छा होता अगर माननीय मंत्री जी बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का संदेश देने के लिए टुकड़ों में 55 किलोमीटर का सफर तय करती और हर पड़ाव पर आम जनता को संबोधित कर बेटियों की हिफाजत के लिए प्रेरित करती। इससे न तो मंत्री जी पर 55 किलोमीटर एक दिन में पूरा करने का दबाव होता और न पुलिस को ट्रैफिक कंट्रोल करने में पसीना बहाना पड़ता और सबसे बड़ी बात जिस जनता को मंत्री जी संदेश देना चाहती हैं उसे भी कोई तकलीफ नहीं होती।
वहीं एक बड़ा सवाल ये भी है कि क्या 1995 के बाद साइकिल पर हाथ लगाने वाली रेखा आर्य एक ही दिन में 55 किलोमीटर साइकिल चला भी पाएंगी या नहीं क्योंकि आते हुए असूज माह की धूप पर भादों की तल्खी छायी रहती है।