सूर्य की किरणों से हुआ रामलला का 'सूर्य तिलक', जानें इसके पीछे का विज्ञान
अयोध्या में रामनवमी के दिन वैज्ञानिक दर्पण के जरिए रामलला के सूर्यतिलक (Surya Tilak) का अद्भुत नजारा देखने को मिला।
ऑप्टिकल मैकेनिकल सिस्टम को रामलला के सूर्यतिलक के लिए डिजाइन किया गया। इसमें चार शीशे और चार लेंस होते हैं।
जिन्हें झुकाव तंत्र और पाइपिंग सिस्टम के अंदर फिट किया गया । टॉप फ्लोर पर इस तंत्र के लिए एक एपर्चर और पूरा कवर रखा जाता है। जिससे शीशे और लेंस को इस्तेमाल कर किरणें गर्भा गिरहा की ओर जा सके।
अंतिम लेंस और शीशे की मदद से श्रीराम के माथे पर सूर्य की किरणें होती है।
रामलला के माथे पर सूर्य की किरणें सीधे न पड़ें इसलिए फील्टर का यूज किया गया है। किरणों की गर्मी को 50% तक घटाया गया।
इस अनोखे दृश्य के लिए विशेष उपकरण डिजाइन किया गया जिसकी लागत एक करोड़ 20 लाख आई।