क्या बिना कपड़ों के रहती हैं महिला नागा साधु ?
13 जनवरी से उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में Maha Kumbh मेला शुरू हो गया है। 12 साल में लगने वाले महाकुंभ को देखने के लिए भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर से लाखों लोग आते हैं।
महाकुंभ में बड़ी संख्या में साधु-संत संगम में स्नान करने के लिए मीलों दूर से पहुंच रहे हैं। वहीं कुंभ में आने वाले नागा साधु लोगों के लिए सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र होते हैं।
नागा साधुओं की वेषभूषा, रहन सहन काफी अलग होती है। पुरुषों की तरह महिला नागा साधु भी होती हैं। वो पूरे जीवन ईश्वर को समर्पित होती हैं।
महिला नागा साधुओं की दुनिया काफी रहस्यमयी होती है। उनका जीवन काफी निराला और अलग होता है।
गृहस्थ जीवन से दूर हो चुकी महिला नागा साधुओं के दिन की शुरुआत भी पूजा पाठ से होती है और अंत भी पूजा पाठ में ही होता है।
पुरुष नागा साधु नग्न रह सकते हैं लेकिन महिला नागा साधु नग्न नहीं रहती हैं। महिलाओं को दीक्षा दी जाती है और नागा बनाया जाता है लेकिन वे सभी वस्त्रधारी होती हैं।
महिला साधुओं को अपने मस्तक पर तिलक लगाना होता है। वो गेरुए रंग का सिर्फ एक कपड़ा पहन सकती हैं जो सिला हुआ नहीं होता है। इस वस्त्र को गंती कहा जाता है।
नागा साधु बनने से पहले महिला को अपना जीवित रहते हुए पिंडदान करना होता है और मुंडन कराना होता है।
महिला नागा साधुओं की जिंदगी काफी कठिन होती है। कड़ी परीक्षा से होकर गुजरना होता है। 10 से 15 साल तक कठिन ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है।