उत्तराखंड में बसंत पंचमी के इस त्यौहार की अलग ही रौनक देखने को मिलती है।इसे कुमाऊं में सिर पंचमी या जौ सग्यान कहते हैं
इस दिन दान पहाड़ों पर पवित्र नदियों में स्नान या प्राकृतिक जल श्रोतों पर स्नान किया जाता है।
पहाड़ों पर नई फसल सुख और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। इसलिए लोग खेत में जाकर पूर्ण विधि-विधान के साथ जौ लेकर आते हैं। जिसके बाद उनकी पूजा की जाती है।
सभी लोग स्नान करने के बाद पीले कपड़े पहनते हैं। महिलाएं ‘जी रये, जागी रये…शुभकामना के साथ घर के सबसे छोटे बच्चों के सिर में जौ के पौधें रखती हैं।
घर की बेटी अपने से बड़ों के सिर में इस जौ के पौधे रखकर आशीर्वाद लेती है। इन जौ के पांच-पांच पौधों को लेकर घर के दरवाजों और खिड़कियों पर लगाया जाता है।
इसके साथ ही कुमाऊं में बैठकी होली की शुरूआत हो जाती है। होली गायन की शुरूआत बसंत पंचमी के दिन से श्रृंगार रस की होली गाने से होती है।