देहरादून- मार्च में हीं जून जैसी गर्मी का अहसास, पूरे प्रदेश में धीरे-धीरे सूखते जल स्रोत और हर रोज तथाकथित विकास के लिए कुर्बान होते पेड़ों को देखने के बावजूद हमें चिपको आंदोलन की याद नहीं आती।
जबकि दूसरी ओर गूगल जैसा सर्च इंजन ने उत्तराखंड की धरती से शुरू हुए चिपको आंदोलन की याद को ताजा कराते हुए आज उसका डूडूल बनाया है। ताकि जंगलों के जीवन को दीर्घायुभवः का आशीर्वाद देने की बड़ी कोशिश की जा सके।
प्रदेश के जंगलों को बचाने के लिए किए गये चिपको आंदोलन को गूगल ने याद किया है। गूगल ने चिपको आंदोलन का रंग बिरंगा डूडल बना कर इसे याद किया। चिपको आंदोलन की शुरुआत 1974 में उस समय हुई जब सरकार हरे पेड़ों पर आरियां चला रही थी। पेड़ काटे जा रहे थे। तब पहाड़ की महिलाओं ने पेड़ों से चिपक कर इन्हें कटने से बचाया था।
1974 सरकारी शह पर पेड़ों को काटने की प्रक्रिया उत्तराखंड के चमोली जिले के मंडल इलाके से हुई थी। जिसकी खिलाफत करने को सभी पहाड़ी महिलाएं एकजुट हो गईं थीं। इन महिलाओं ने पेड़ों से चिपक कर पेड़ों को कटने से बचाया था। पेड़ों से चिपक करबचाने के चलते ही इस आंदोलन का नाम चिपको पड़ा। इस आंदोलन की शुरूआत गौरा देवी ने की थी। बाद में इस आंदोलन से लोग जुड़ते चले गए।
वहीं आज इतने वर्षो बाद भी इस आंदोलन का संदेश कम नहीं हुआ है। जिसके चलते Google ने चिपको आंदोलन को याद किया और नई पीढ़ी चिपको आंदोलन के मर्म को समझे और दरख्तों की दुनिया की कद्र करे उसकी हिफाजत करे, उसकी अहमियत समझे इसके लिए इसका Doodle बनाया है।