देहरादून, संवाददाता- नोटबंदी के फरमान ने जल संस्थान की बल्ले-बल्ले कर दी है। जमानों से जल संस्थान के दबंग कर्जदारों की दंबगई धरी की धरी रह गई है। ले लेना,अभी है नहीं अगली बार के बिल मेंं दे देगे, फलाने अधिकारी जानने वाले हैं, अरे यार सरकार का पैसा है, ब्याज के साथ दे देगे ऐसे जुमले इस्तेमाल करने वालों का हाल ये है कि वो कह रहे हैं साब पिछला पूरा ले लो और हो सके तो एडवांस भी ले लो। केंद्र सरकार ने 500 और 1000 के नोट बंद किए तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जमाने के बकाया बिल भी जमा होने के लिए जल संस्थान में आ रहे हैं। यकीन मानिए उत्तराखंड जल संस्थान साढ़े तीन दशक से जिन बिलों की वसूली नहीं कर पाया, अब वो भी जमा होने लगे हैं। अधिकारियों की माने तो शहर में 15 से 35 साल पुराने 100 से ज्यादा बकायेदार जुर्माने के साथ बिल जमा करा चुके हैं। नतीजतन अक्टूबर में 45 लाख रुपये वसूलने वाला संस्थान इस माह अब तक दो करोड़ 53 लाख 41 हजार रुपये की वसूली कर चुका है। पित्थुवाला क्षेत्र में एक व्यक्ति पास पानी के तीन घरेलू कनेक्शन हैं। उन्होंने आखिरी बिल वर्ष अक्टूबर 1981 में जमा कराया था। इस बीच विभाग ने उनकी 16 बार आरसी जारी की और दो कनेक्शन काट डाले, लेकिन वसूली नहीं हो पाई। 15 नवंबर 2016 तक उन पर तीनों कनेक्शनों का बकाया बिल था दो लाख 40 हजार रुपये। बीते बुधवार को राजेश जल संस्थान पित्थुवाला कार्यालय पहुंचे और पूरा बिल नकद जमा करा दिया। यह अकेला मामला नहीं, तीस साल से बिल न देने वाले राजपुर क्षेत्र के एक शख्स ने एकाएक बिल जमा कराने पहुंचे तो अधिकारी भी चौंक गए। उन्होंने भी जुर्माने के साथ 73 हजार रुपये अदा किए। बताया जा किसी ने कहा ये है नोटबंदी का फायदा।