लालकुंआ- देश में स्वच्छ भारत अभियान का राग अलापा जा रहा है, कभी-कभी नगरों में झाडू मारते हुए तस्वीरें खिंचवाने का अभियान भी चलाया जा रहा है। लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि अधिकांश नगर पंचायतों, नगर निगमों, नगपालिकाओं और ग्राम सभाओं के पास कूड़ा एकत्र करने के लिए या उसकी छंटाई के लिए कोई नियत स्थान नहीं है।
लिहाजा कूड़े के ढेरों से इलाके सड़ते जा रहे हैं और फिजां में गंध बिखरती जा रही है।कूड़ा प्रबंधन को लेकर उत्तराखंड के सारे इलाके की हकीकत कमोबेश एक जैसी ही है। फिर भी हम आपको कुमाऊं का प्रवेशद्वार कहे जाने वाले लालकुआं का कूड़ा प्रबंधन से रू-ब-रु करवाते हैं। यहां नगर के प्रवेश द्वार पर ही कूड़े-कचरा बिखरा हुआ है जबकि लालकुंआ में कूड़ा प्रबंधन की जिम्मेदारी नगर पंचायत के कांधे पर है।
बावजूद इसके नगर में बिखरे कूड़े से नगरवासी, राहगीर समेत पर्यटक सभी परेशान हैं। आलम ये है कि कूड़े को इक्कट्ठा करने बाद यहां बेझिझक आग भी लगा दी जाती है। रही सही कसर सेंचूरी पेपर मिल का कचरा पूरी कर देता है। जबकि बिखरे कचरे के ढेर को जहां सुअर अपनी हरकतों से कोढ़ में खाज बनाकर रख देते हैं वहीं भूखी आवारा गायें निवाला तलाशते हुए प्लास्टिक खाकर बीमार हो जाती हैं।
बावजूद इसके नगर पंचायत ने अब तक इस ट्रंचिंग ग्राउड के बारे कोई पहल नहीं की। हालांकि अब चुनावी साल को देखते हुए वन विभाग और पंतनगर सिविल एयरपोर्ट से खतो-ओ-खतूत कर एनओसी मांगी जा रही है।
वही नगर पंचायत की अधिशासी अधिकारी राजू नबियाल का कहना है कि उन्होंने इसके लिए वन विभाग को पत्राचार किया है साथ ही पंतनगर सिविल एयरपोर्ट के विस्तारीकरण के तहत होने की वजह से भी एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अभी तक अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है। जिसकी वजह से ट्रंचिग ग्राउड का काम अधर में लटका है और कचरा नगर में बिखर रहा है।
वही नगर पंचायत अध्यक्ष रामबाबू मिश्रा का कहना है कि अधिशासी अधिकारी सहित उन्होंने इसके लिए तमाम प्रयास किए मगर आसपास फॉरेस्ट लैंड होने की वजह से काम पूरा नहीं हो पाया है। सच क्या है ये तो नगरपंचायत की आलाहस्तियां जाने लेकिंन हकीकत ये है कि कूड़े की गंध से बीमारी का साया लालकुंआ पर मंडरा रहा है।