देहरादून,संवाददाता- कचहरी स्थित शहीद स्मारक उत्तराखंड वासियों के लिए एक मंदिर है। इससे राज्य आंदोलनकारी हों या फिर वो फिर वो आम जनता जिसने राज्य निर्माण के दौरान अलग राज्य के लिए सड़कों पर जंग लड़ी सबकी भावनाएं जुड़ी हुई हैं। राज्य स्थापना दिवस के दिन इस शहीद स्मारक पर उस वक्त हंगामा खड़ा हो गया जब राज्य के सीएम शहीदों को श्रंदाजलि अर्पित करने आए। मुख्यमंत्री ने इस मौके पर शहीदों की प्रतिमाओं का अनावरण किया और उन्हें पुष्पाजलि भी अर्पित की लेकिन वहां मौजूद राज्य आंदोलनकारियों ने सीएम से स्थाई राजधानी गैरसैंण के वरदान देने की गुहार लगा दी। मौके की नजाकत को भांपते हुए सीएम तो शहीद स्मारक किसी तरह निकल गए लेकिन दर्जा धारी राज्य मंत्री राजेंद्र शाह मौजूद आंदोलनकारियों से भिड़ गए। नतीजतन मंत्री और आन्दोलनकारियों में जमकर बहस और धक्का मुक्की हुई । दर्जाधारी राज्य मंत्री राजेन्द्र शाह ने दलील देते हुए कहा कि सीएम ने इनकी मांगे पूरी की है इनको 3100 रु पेन्शन भी दी गई है जिसका इन्हें धन्यवाद करना चाहिए लेकिंन इनके सवाल कई बार असहज कर देते हैं। जबकि राज्य आन्दोलनकारियों का कहना है कि कितनी शर्मनाक बात है कि जिस पृथक राज्य के लिए लडाई लडी गई उसकी स्थाई राजधानी आज तक घोषित नहीं हो पाई । आंदोलनकारियों ने चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक राजधानी गैरसेंण नही बन जाती तब तक आन्दोलन जारी रहेगा।