चमोली : इन दिनो उत्तराखंड पुलिस के एक दारोगा औऱ एक महिला आरक्षी का प्री-वेडिंग शूट का वीडियो वायरल हो रहा है. जो की जोशीमठ कोतवाली में शूट किया गया है जिससे लगता है कि अब थाना-चौकी कानून संबंधित काम के साथ प्री-वेडिंग शूट का अड्डा बनता जा रहा है. महिला आरक्षी का नाम निशी और दारोगा का नाम सुमित है जो की जोशीमठ कोतवाली में तैनात हैं और वीडियो वर्दी में कोतवाली में शूट की गई है क्या किसी ने ये सब करने पर आपत्ति नहीं जताई.
जी हां आपको बता दें कि वीडियो शूटिंग कोतवाली में की गई है जो की वीडियो में साफ तौर पर देखा जा सकता है जिसमे दोनों महिला आरक्षी और दारोगा वर्दी में हैं और दारोगा थाने में आता है तो महिला आरक्षी उसे सैल्यूट करती है. माना की सबको अपने मन का करने का अधिकार है लेकिन जो वर्दी जनता की सेवा औऱ राज्य की सेवा के लिए पहनी है उसमे प्री-वेडिंग शूट करना क्या दर्शा रहा है? क्या वर्दी मात्र दिखावा और अजय देवगन जैसे सिंघम देखने के लिए पहनी है क्यों कि अक्सर फिल्मों में ही ऐसा होता है कि हीरो वर्दी में नाचते गाते दिखते हैं. दबंग के सलमान से लगता है अब उत्तराखंड पुलिस के कर्मी भी सीख ले रहे हैं. लेकिन कुछ भी हो वर्दी पहनकर थाने में प्री वेडिंग शूट करना सरासर गलत है। थाना चौकी जनता की समस्या सुनने और पुलिस विभाग से संबंधित काम करने के लिए होता है ना कि प्री वेडिंग शूट करने के लिए। इसका जनता पर और अन्य पुलिस अधिकारियो- कर्मचारियों पर असर जरूर पड़ता है।
बड़ा सवाल ये है कि क्या शूटिंग के दौरान वहां कोई भी पुलिसकर्मी या पुलिस अधिकारी मौजूद नहीं था जिसने इस शूटिंग को देखा हो और आपत्ति न जताई?