देहरादून : पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान को उत्तराखंड में कितनी गंभीरता से लिया गया और कितना इस अभियान पर अमल किया गया इसकी पोल शहरी विकास मंत्रालय के स्वच्छ सर्वेक्षण में खुली। वहीं दूसरी ओर मंत्री-विधायक और कुर्सी पर बैठे मेयर साहब इस रिपोर्ट को ही मानने को तैयार नहीं है.
जी हां आपको बता दें बुधवार को स्वच्छ सर्वेक्षण-2019 की रिपोर्ट सामने जिसमें उत्तराखंड का रिजल्ट खराब रहा।उत्तराखंड के सभी निगम, पंचायत, कैंटोंमेंट बोर्ड की रैंक गिर गई औऱ तो और मुनिकीरेती जो की पिछली बार दूसरे पायदान में था वो 53 पायदान में आ पहुंचा। प्रदेश के सबसे साफ-सुथरे शहर रुड़की को 281वीं रैंक मिली है, जबकि 308वीं रैंक के साथ काशीपुर दूसरे, 350वीं रैंक के साथ हल्द्वानी तीसरे स्थान पर रहा। 376वीं रैंक के साथ हरिद्वार चौथे, 384वीं रैंक के साथ देहरादून पांचवें और 403 रैंक के साथ रुद्रपुर को छठा स्थान मिला।
देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा का बयान
वहीं देहरादून मेयर सुनील उनियाल गामा ने केंद्र सरकार की रिपोर्ट को ही गलत ठहराया और सफाई देते हए कहा कि कहीं न कहीं केंद्र से कोई गलती हुई है. हमने पूरी तैयारी कर रखी थी. हम दोबारा रिपोर्ट भेज कर जांच कराएंगे और कुछ खामियां नगर निगम विभाग से भी हुई है।
शहरी विकास मंत्री का बयान
तो वहीं शहरी विकास मंत्री मदन कौशिक का कहना है कि इस बार के स्वच्छ सर्वेक्षण में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट की स्थिति पर फोकस करते हुए रैंकिंग दी है। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में हमारे यहां भी काफी काम हुआ है। लेकिन, बहुत सारा काम प्रक्रिया से गुजर रहा है। जिसकी वजह से निकायों के प्रदर्शन पर असर दिखाई दे रहा है। लेकिन हम आश्वस्त हैं कि अगले साल इस सर्वेक्षण में फिर से प्रदेश बेहतर स्थिति दिखाई देगी।