देहरादून: गिरते भूजल स्तर को स्थिर रखने के लिए उत्तराखंड सरकार आने वाले समय में प्रदेश में ग्रीष्मकालीन धान की खेती पर रोक लगा सकती है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि ऐसी स्थितियां बन रही हैं, जिनमें सरकार को यह सोचना पड़ेगा। निर्णय लेना पड़ेगा कि ग्रीष्मकालीन धान की खेती को ही प्रतिबंधित कर दिया जाये।
गिरते भूजल स्तर से पानी का संकट
लगातर गिरते भूजल स्तर से पानी का संकट हो रहा है। बारिश लगातार कम हो रही है। इस साल ही मानसून में अब तक औसत से काफी कम बारिश हुई है, जो सूखे की ओर इशारा कर रही है। भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। जिसके चलते कई हैंडपंप सूख सुके हैं। समरसेल सूख चुके हैं। लोगों को पानी के लिए हर साल अतिरिक्त पाइप लगाने पड़ रहे हैं।
ग्रीष्मकाल में धान का उत्पादन नहीं कर पाएंगे
अगर यही हाल रहा तो किसान उत्तराखंड में ग्रीष्मकाल में धान का उत्पादन नहीं कर पाएंगे। सरकार ने गर्मी में धान की खोती पर रोक लगाने की ओर इशारा कर दिया है। इससे माना जा रहा है कि सरकार ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है। हालांकि मुख्यमंत्री ने साफतौर पर नहीं कहा, लेकिन इतना जरूर कहा है कि आने वाले समय में गर्मियों में धान की खेती पर रोक भी लगानी पड़ सकती है।
किसानों के आगे संकट
अगर ऐस हुआ तो किसानों के आगे संकट खड़ा हो जाएगा। खासकर ऊधमसिंह नगर, हरिद्वार जिले के उन हिस्सों में ज्यादा प्रभाव पड़ेगा जहां किसान धान की खेती अधिक करते हैं। यही जिले प्रदेश में धान की खेती सबसे अधिक करते हैं। प्रदेश को भी चावल की आपूर्ति इन्हीं जिलों से ज्यादा होती है। धान की खेती प्रतिबंधित होने से दूसरे राज्यों से धान आयात करना पड़ेगा, जिससे सरकार पर भी आर्थिक बोझ पड़ेगा।